कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
परिचय
मेरा उसका परिचय इतना
वो नदिया है, मैं मरुथल हूँ
उसकी सीमा सागर तक है
मेरा कोई छोर नहीं है
मेरी प्यास चुरा ले जाये
ऐसा कोई चोर नहीं है
मेरा उसका नाता इतना
वो खुशबू है, मैं संदल हूँ
उस पर तेरे दीप शिखायें
सूनी - सूनी मेरी रातें
उसके तट पर चहल-पहल है
कौन करेगा मुझसे बातें
मेरा उसका अन्तर इतना
वो बस्ती है, मैं जंगल हूँ
उसमें एक निरन्तरता है
मैं हूँ स्थिर जनम-जनम से
वो है साथ-साथ ऋतुओं के
मेरा क्या रिश्ता मौसम से
मेरा उसका जीवन इतना
वो इक युग है, मैं इक पल हूँ
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