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अंतस का संगीत
अंतस का संगीत
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ :
Ebook
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पुस्तक क्रमांक : 9545
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आईएसबीएन :9781613015858 |
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8 पाठकों को प्रिय
397 पाठक हैं
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
नेता करें विकास का, बस्ती-बस्ती शोर।
देखा किसने 'क़म्बरी', वन में नाचा मोर।।111
अपने घर परिवार का, नेता करें विकास।
जनता अपने देश की, भोग रही संत्रास।।112
राजा तो खुशहाल है, तंगहाल है रंक।
मंहगाई बिच्छू हुयी, मार रही है डंक।।113
वैसी ही सब नीतियाँ, वैसा ही व्यवहार।
नेता जी बदले नहीं, बदल गई सरकार।।114
कुर्सी की खातिर रचें, नेतागण षडयंत्र।
तानाशाही नीतियाँ, कहने को जनतंत्र।।115
मँहगाई बढ़ती गई, जब-जब हुये चुनाव।
आसमान छूने लगे, बाजारों के भाव।।116
संसद में निधि क्या बँटी, होने लगा विकास।
कौन बताये निधि गई, किसके-किसके पास।।117
गाँव-गाँव में थे लगे, मंत्री जी के कैम्प।
लाये थे वो साथ में, अलादीन का लैम्प।।118
किस नेता को छोड़ दें, किसको करें निहाल।
साँप-छछूँदर सा हुआ, आज हमारा हाल।।119
नेता सारे 'क़म्बरी', हुये टके के तीन।
घर-घर में बजने लगी, राजनीति की बीन।।120
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पुस्तक का नाम
अंतस का संगीत
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