कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
सिगरेट और शराब है, लंदन की पहचान।
बम भोले वम बोलिये, ये है हिन्दुस्तान।।61
बड़े-बड़े दारू दिये, फैलायें दुर्गन्ध।
लेकिन लगा ग़रीब की, बीड़ी पर प्रतिबन्ध।।62
वो मुझसे नफरत करे, मैं करता हूँ प्यार।
ये उसका व्यवहार है, ये मेरा व्यवहार।।63
कच्चे धागे की तरह, टूटे सब अनुबन्ध।
आखिर कितने दिन चलें, स्वारथ के सम्बन्ध।।64
हम भी हैं पहचानते, कौन-कौन है कौन।
लेकिन चुप हैं इसलिये, सबसे अच्छा मौन।।65
सच्चाई कह दी अगर, लग जायेगी चोट।
इसीलिये सिलने पड़े, हमको अपने होंठ।।66
चाहे होवे सामने, चाहे होवे ओट।
बातों वाली मार की, होती गहरी चोट।।67
मोबाइल के दौर में, हुआ अनोखा काम।
खाली नम्बर रह गये, नाम हुये गुमनाम।।68
देख डाकिया द्वार पर, मन में उठी हिलोर।
पल भर में ही जुड़ गई, आशाओं की डोर।।69
जाने किसका रास्ता, देख रही है झील।
दरवाजे पर टाँग कर, चन्दा की कंदील।।70
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