लोगों की राय
कविता संग्रह >>
अंतस का संगीत
अंतस का संगीत
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ :
Ebook
|
पुस्तक क्रमांक : 9545
|
आईएसबीएन :9781613015858 |
 |
|
8 पाठकों को प्रिय
397 पाठक हैं
|
मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
टीवी की तहजीब में, ऐसा रमा समाज।
भूल गये हैं लोग अब, अपने रीति-रिवाज।।51
बगिया देशी फूल की, और विदेशी खाद।
कान्वेंट यूँ कर रहे, बच्चों को बरबाद।।52
हाथ जोड़ प्रतिभा करे, सबसे यह फरियाद।
आरक्षण के नाम पर, मत करिये बर्बाद।।53
वाद और प्रतिवाद में, प्रतिभा हैं बर्बाद।
कहीं भाई का वाद है, कहीं भतीजा वाद।।54
निर्धन कन्या का भला, होगा कहीं निबाह।
अब तो लोग दहेज से, करने लगे विवाह।।55
मिली नहीं शायद उन्हें, मुँह मांगी खैरात।
बिना दुल्हन के 'क़म्बरी', लौट गई बारात।।56
जव देहरी पर आ गई, सपनों की बारात।
आँखों से होने लगी, खुशियों की बरसात।।57
चाहे मालामाल हो, चाहे हो कंगाल।
हर कोई कहता मिला, दुनिया है जंजाल।।58
फेरी वाले हो गये, और अधिक बदहाल।
सब्ज़ी तक अब बेचते, बड़े-बड़े ये मॉल।।59
करते हैं बेकार ही, लोग मुझे बदनाम।
पिया नहीं है एक भी, मैंने अब तक जाम।।60
...Prev | Next...
पुस्तक का नाम
अंतस का संगीत
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai