कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
अंतस का संगीत
दोहा-हिन्दी मुक्तक काव्य धारा की अत्यन्त प्रभावी एवं सशक्त काव्य विधा है। इस विधा में कवि अपनी उत्कृष्ट अनुभूति एवं उन्नत अभिव्यक्ति द्वारा काव्य का ऐसा उदात्त रूप प्रस्तुत करता है जिसके अन्तर्गत तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक एवं साहित्यिक परिस्थितियों के साकार चित्र प्रस्तुत होने के साथ-साथ मानव-मनोवृत्तियों की अनेक प्रतिमायें भी चित्रित होती हैं। दोहों में रचनाकार अपनी मनोरम कल्पना एवं उत्कृष्ट उद्भावनाशक्ति द्वारा जन भावनाओं, कामनाओं और लालसाओं को इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि वे किसी एक की अनुभूति न होकर जन सामान्य की अनुभूति और सामाजिक जीवन का सत्य अनुभूत कराने वाली होने लगती हैं। यही कारण है कि दोहा हिन्दी की मुक्तक काव्य धारा की सर्वाधिक लोकप्रिय काव्य-विधा रही है। आज भी जबकि मुक्त-छंद का वर्चस्व है कतिपय रचनाकार अपनी मार्मिक अनुभूतियों के लिए दोहा छंद का ही सहारा लेते हैं।
आत्मनिरीक्षण और शुक्ताचरण की प्रेरणा देते संत कबीर के दोहों से लेकर देश-प्रेम स्वतंत्रता, स्वाधीनता और देशाभिमान की भावना जागृत करते भारतेंदु जी के दोहों तक इस काव्य विधा ने अपनी दीर्घ सृजन-यात्रा पूरी की है। इस यात्रा में संत तुलसी, रहीम तथा कविवर बिहारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इधर समकालीन कवियों ने भी विचार बोझिल गद्य-कविता की शुष्कता से मुक्ति के लिए दोहा मात्रिक छंद को अपनाना श्रेष्ठकर समझा है और अनेक समकालीन कविता के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर इसी विधा में भावाभिव्यक्ति कर रहे हैं।
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