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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9435
आईएसबीएन :9781613018972

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


जब मैंने यात्रा के लिए साथ ढूँढना आरंभ किया था तब मैं सोच रहा था कि कार चलाने का काम दोनों चालक करेंगे। इस प्रकार एक-दूसरे को सहारा रहेगा। अब स्थिति की वास्तविकता यह थी कि एक तो किसी और ने दिलचस्पी ही नहीं दिखाई और दूसरी ओर अब तक मेरी एन से बात इतनी बढ़ चुकी थी, कि इस बारे में किसी और सहयात्री के बारे पुनः फिर से सोचना व्यर्थ था। मैंने यह सोचकर केवल अपने नाम से “ट्रिपल ए” की सेवा ली। कुल मिलाकर उसमें 115 डॉलर लग गये, यह खर्च मुझे बेवजह लग रहा था, परंतु यदि वीराने में कहीं कार बिगड़ गई तब एक बार में ही काफी ज्यादा खर्च हो सकता था। साथ ही कार के अटकने के स्थान के आधार पर स्थानीय सर्विस ढूंढ़ने में समय भी अधिक लग सकता था। खर्च तो फिजूल का ही था पर गडबड़ होने पर जान बचाने वाला भी साबित हो सकता था!
कार की इंश्योरेन्स कंपनी को अपना नाम जोड़ने के लिए कहा तो विपुल की कार में इंश्योरेन्स की कीमत 198 डॉलर और खालिद की कार में इंश्योरेन्स की कीमत 145 डॉलर आई। इस स्थिति में प्रियस में जो पैसा गैस में लगने वाला था वह इंश्योरेन्स में चला गया और दोनों कारों में खर्चे की स्थिति लगभग एक जैसी ही हो गई। मैंने सोचा कि खालिद से कार उधार लेना मेरे लिए आसान है, मैने उसकी कार चलाई भी है, विपुल से बेकार एहसान लेने का कोई फायदा नहीं है। अंततोगत्तवा खालिद की कार ले जाने का ही निश्चय किया। इस बारे में संभवतः मेरी एन से पूछने का कोई खास फायदा नहीं था, इसलिए स्वयं ही निश्चय करके कार की इंश्योरेन्स में अपना नाम जुड़वाया। मेरे मन में एक अधूरा-सा विचार उठ रहा था...कहीं मेरी तबियत खराब हुई तो गाड़ी कौन.. घूमने का लालच इतना अधिक था कि मैंने इस विचार को पनपने से पहले ही पूरी निर्ममता से दबा दिया।
कौन सी कार ले जानी है, यह निश्चय हो जाने पर मैंने सोचा कि अच्छा होगा इसे मिस्त्री को दिखा लिया जाये और उससे लंबी दूरी की यात्रा के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए इस बारे में सलाह भी ले लेनी चाहिए। खालिद हमेशा एशिया वर्क्स से अपनी कार रिपेयर करवाता था। मैंने उनको फोन करके अगले दिन का समय ले लिया। मेरा मन और मस्तिष्क अब यात्रा की योजना बनाने के लिए पूरी तरह जुट गये थे। मैने इसके आगे की यात्रा के लिए बॉस्टन, बैंगोर, क्यूबैक सिटी आदि के क्षेत्रों में होटल देखने आरंभ कर दिये। सरसरी निगाह से देखने पर यही समझ में आया कि उन सभी जगहों में अच्छे किस्म के होटल 125 डॉलर से अधिक के ही थे। इस समस्या पर अधिक समय न खर्च करते हुए मैने सोचा कि इस बीच जाने से पहले अपनी थीसिस में जिन विषयों पर काम करना पड़ सकता है उनकी एक सूची बना लूँ, ताकि भ्रमण के समय में उसकी चिंता न रहे। अगले दो दिनों तक मैं इसी प्रकार के काम निपटाने में व्यस्त रहा।
बुधवार की शाम को मेरी एन से इस बार मैं लाइब्रेरी में मिला। बातचीत का विषय यात्रा में ले जाई जाने वाली आवश्यक वस्तुएँ ही थीं। चूँकि अब हम अल्टीमा ले जा रहे थे और उसके ट्रंक में जगह की कोई कमी न थी, इसलिए कम से कम 4 बड़े सूटकेस जितना सामान और यदि आवश्यकता पड़े तो पिछली सीट पर भी सामान रखा जा सकता था। यह अलग बात थी कि हमारे पास ले जाने के लिए इतना अधिक सामान नहीं था। इस बीच मुझे ध्यान आया था कि हम डेलावेयर रिवर गैप अथवा कहीं और नदी में यदि कायकिंग या नाव की सैर करना चाहते हैं, तो उसके लिए कपड़े जूते आदि ले सकते हैं।  
इसी सिलसिले में मैं अपने लिए वालमार्ट से आइस बाक्स, सीरियल बार, जूस, तैरने के लिए कच्छा, मच्छर भगाने के लिए स्प्रे, कोक, माउण्टेन ड्यू, स्लीपिंग बैग, कायकिंग के कपड़े के जूते, हाइकिंग के जूते आदि ले आया था। मैने मेरी एन से कहा कि वह चाहे तो इसमें से जिस तरह का सामान, जैसे बार, जूस, कायकिंग के जूते आदि अपने लिए खरीद सकती है, अथवा जहाँ पर कायक किराये में ली जाती हैं वहीं से ले सकती है। मैने तो इसलिए खरीद लिये थे, क्योंकि मुझे इनका उपयोग आगे भविष्य में भी नजर आ रहा था।

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