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अमेरिकी यायावर

योगेश कुमार दानी

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :150
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9435
आईएसबीएन :9781613018972

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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी


मैंने उससे कहा,  “इसका मतलब मुझे वाशिंगटन में केवल घूमना ही नहीं है, बल्कि वहाँ पर कैनेडा के दूतावास से अपने पासपोर्ट पर वीजा भी लगवाना है। इसका अर्थ यह है कि अगर उसमें एक दिन से अधिक समय लग गया तब तो आगे के होटल के कमरे का आरक्षण बेकार हो जायेगा। कुल मिलाकर इस समय केवल वाशिंगटन के पास किसी होटल में ही कमरा रिजर्व किया जा सकता है।“ उसने विचारात्मक भावों से मेरी ओर देखते हुए कहा, “ठीक है आप होटल देखिए, मैं भी अपनी तैयारी करती हूँ। कल शाम या परसों सुबह वापस बात करेंगे।“ मैंने सिर हिलाकर उसे विदा किया। उसके जाने के बाद मुझे यह अहसास हुआ कि बोलने का काम अधिकतर मैंने ही किया था और होटल अथवा रास्ते के सामान के बारे में पूछने पर भी उसने अपना कोई विचार नहीं प्रकट किया था। खैर!
उसके जाने के बाद मैं काउंटर पर जाकर अपना आर्डर बताया, “मेरे लिए एक शानदार इटेलियन हर्ब एंड चीज की ब्रेड और वेजी पैटी को टोस्ट करके सैंडविच बना दो।“ गरमा-गरम सैंडविच खाते हुए मैं सोच रहा था कि मुझे तो साफ-सुथरे लोग, जगह और कमरे आदि अच्छे लगते हैं, यदि मेरी एन साफ-सुथरी न हुई तो?
यहाँ आने के बाद कुछ भारत से आये छात्र, यहीं पले-बढ़े भारतीय मूल के लोग और यहाँ के अमेरिकी छात्रों से संपर्क हुआ। उनके कमरों और घरों पर जाने के बाद मैंने अनुभव किया कि उनमें से कुछ लड़के और यहाँ तक कि लड़कियाँ भी, बड़े ही अव्यवस्थित तरीके से रहते हैं। उतरे हुए कपड़े, खाने की चीजों के रैपर और फैला हुआ सामान आदि तो बिलकुल सामान्य बात है। आफिस की नौकरी के समय जीवन संयम से चलाना आवश्यक हो जाने के कारण अब मेरी आदतें भी बदल गईं हैं। कालेज के आरंभिक दिनों में अव्यवस्था में रहना बड़ी बात न थी, क्योंकि हममे से अधिकांश पहली बार अपने घरों से निकल कर स्वयं जीवन संचालित कर रहे थे। लेकिन अब...  कहीं मेरी एन भी वैसी ही लापरवाह निकली तब तो मेरे लिए ये 14-15 दिन मुश्किल हो सकते थे। पर अब कोई चारा नहीं था, साथ ही बिना यह जाने, कि अपनी निजी जिंदगी में वह किस तरह रहती है,  यात्रा के लिए होटल के कमरे आरक्षित करने होंगे। अगर मैंने अंदाजा लगाना भी चाहा कि वह कैसे रहती है, तो भी आज तो यह हो पाना मुश्किल ही था, यात्रा पर जाने से पहले कल भी शाम को देर तक प्रोग्रामिंग लैब में रुक कर पिछले कुछ काम निपटाने हैं, इसलिए शायद मुश्किल ही होगा। कोई बहाना ढूँढना पड़ेगा, तभी यह काम हो पायेगा।

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