उपन्यास >> पाणिग्रहण पाणिग्रहणगुरुदत्त
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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव
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शिवदत्त पाण्डे की चार सन्तान थीं–दो लड़के और दो लड़कियाँ। सबसे बड़ा लड़का था, नाम था महादेव। वह एम० ए० पास कर कार्यालय में नौकरी पा गया था और अब सुप्रिन्टेन्डेन्ट था। महादेव का विवाह हुए पन्द्रह वर्ष हो चुके थे। उसके पाँच सन्तानें हो चुकी थीं और पाँचों उत्पन्न होने के सप्ताह के भीतर ही देह छोड़ गई थीं। इस समय वह निस्सन्तान था।
महादेव से दो वर्ष छोटी सौभाग्यवती थी। उसका विवाह, जब वह दस वर्ष की थी, हो गया था। सौभाग्यवती के विवाह के समय महादेव बारह वर्ष की आयु का था और स्कूल में सातवीं श्रेणी में पढ़ता था।
सौभाग्यवती के विवाह के समय शिवदत्त की आर्थिक अवस्था साधारण थी। इस कारण लड़की के लिये पति नगर में ढूँढ़ने के स्थान देहात में ढूँढ़ा जाने लगा। शिवदत्त को खेद हो रहा था कि सौभाग्यवती के लिये कोई अंग्रेजी पढ़ा-लिखा लड़का नहीं मिल पा रहा था। जो मिलते थे वे भारी रकम दहेज में माँगते थे। महादेव की माँ ने रामाधार का पता पाया और उसको अपने गाँव में कथा बाँचते सुन प्रसन्न हो गयी। वह मन में विचार करती थी कि अंग्रेजी पढ़ा-लिखा नहीं तो न सही, लड़का सुन्दर, सुडौल और संस्कृत का विद्वान् तो है। रामाधार का पिता जीवित था। बात-बात में नीति-शास्त्र के श्लोक सुनाया करता था।
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