लोगों की राय

उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


उसने बुद्धि से उचित परन्तु मन की भावना के विपरीत बात कहने से बचने के लिए अपनी पत्नी, जो समीप ही बैठी थी, की ओर देखकर पूछ लिया, ‘‘भाग्यवान! तुम क्या कहती हो?’’

‘‘मैं कहती हूँ कि लड़के का विवाह हो जाना चाहिये। अब वह सोलह वर्ष का हो रहा है। शेष तुम जानो, तुम्हारा काम जाने।’’

शिवदत्त हँस पड़ा। हँसकर कहने लगा, ‘‘अब तो लड़के के विवाह के लिए सोलह वर्ष की आयु कम मानी जाती है।’’

‘‘तो कितनी आयु ठीक मानी जाती है।’’

‘‘कम-से-कम पच्चीस। इस पर भी यदि लड़का कमाने योग्य न हो तो इससे भी बड़ी आयु में विवाह हो सकता है।’’

‘‘परन्तु पिताजी! आपने अपना दामाद तो पन्द्रह वर्ष की आयु का ढूँढ़ा ही था?’’

‘‘तब और आज की बात में अन्तर हो गया है। उस समय मन्दिर की आय निर्वाह के लिए पर्याप्त थी, परन्तु अब नहीं रही।’’

‘‘देखिए पिताजी! हमारी आय तो बढ़ी है। घर का खर्चा अधिक हुआ तो आय भी अधिक हुई है और प्रतिवर्ष खा-पीकर कुछ-न-कुछ जमा हो रहा है।’’

‘‘परन्तु यह दिन-प्रतिदिन कम हो रहा है। एक दिन आने वाला है कि जब मन्दिर में उल्लू बोला करेंगे। ज्यों-ज्यों शिक्षा का प्रसार होता जायेगा, पूजा-पाठ छूटता जायेगा। और इसका स्थान सिनेमा आदि ले लेंगे।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai