लोगों की राय

उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


सब हँसने लगे। हँसने का कारण समझ उसी लड़के ने कह दिया, ‘‘आप कहते होंगे कि टोस्ट बिना शराब के कैसे पिया जाय? मैं कहता हूँ कि श्री इन्द्रनारायण के विवाह की रस्म तो हुई है, परन्तु बेचारे ने अपनी पत्नी को अभी देखा नहीं। इसलिए लैमनेड ही गिलासों में डालकर पिया जाय।’’

उसने स्वयं अपने गिलास में रोज़ की आधी बोतल डालकर और गिलास को हाथ में पकड़ ऊँचा करके कहा, ‘‘उस बेचारे के लिये शुभ-कामना करना, जिसने अभी विवाह का फल नहीं भोगा, हमारा कर्तव्य है। यह उसके प्रति सहानुभूति में है।’’

इस पर सबसे पहले रजनी ने अपने गिलास में लैमनेड डाला और पश्चात् अन्य सबने डाल लिया और टोस्ट लिया गया।

विष्णु को शरारत सूझी और वह हाथ में खाली गिलास पकड़कर बोला, ‘‘हमारी कठिनाई यह है कि जिन श्रीमती का हम ‘टोस्ट’ ले रहे हैं, वे यहाँ पर नहीं हैं। अतः...।’’

इन्द्रनारायण को समझ आया कि विष्णु कुछ शरारत करने जा रहा है। इस कारण उसने उसका कथन समाप्त होने से पहले ही कहना आरम्भ कर दिया। उसने कहा–‘‘लेडीज़ एण्ड जैण्टलमैन!’’

विष्णु को इस प्रकार अपनी बात न कहने का दुःख हुआ और उसने कह दिया–‘‘मेरी बात तो सुन लो।’’

‘‘नहीं।’’ इन्द्र का कथन था–‘‘मुझको टोस्ट का उत्तर देना है।’’

इस प्रकार बात टल गई। दावत निर्विघ्न समाप्त हो गई।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book