लोगों की राय

उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


‘‘यह इजाजत इसलिए नहीं कि मैं इस तरह से इसका घूमना पसन्द करता हूँ। यह मजबूरी है। अनवर के सिर पर उसका जादू सवार है। वह इसके इश्क में दीवाना हो रहा है। एक बार मैंने उसको मना करने की कोशिश की थी, मगर वह माना नहीं। उसने कह दिया था कि अगर वह इंगलैण्ड से विवाह करके ले आता तो मैं क्या करता?’’

‘‘वह ठीक ही कहता था। यदि दो-तीन लड़के होते तो फिर किसी दूसरे को ही बली-ऐ-हद बना लेता।’’

इन्द्रनारायण ने पूछ लिया, ‘‘वैसे तो आपको बेगम के खिलाफ कोई शिकायत नहीं?’’

‘‘एक शिकायत हो तो बताऊँ? शिकायतें तो बहुत हैं, मगर क्या करूँ? अगर अनवर मान जाता तो एक निहायत खूबसूरत लड़की से उसकी शादी कर देता।’’

‘‘मगर यह तो हो नहीं सकता। दोनों ने ‘स्पेशल मैरेज एक्ट’ के अधीन शादी की हुई है।’’

‘‘मैं कानून की बात नहीं करता। मैं तो वैसे ही बिना विवाह के उसके पास लाकर रख देता। जब उससे कोई औलाद हो जाती तो मैं उसको अपना मुतबन्ना बना लेता।’’

इन्द्रनारायण मन की इस अवस्था से इरीन के विषय में विचार करने लगा था। इस पर भी यह समझ कि इरीन का अनवर से विवाह अस्वाभाविक है, इस कारण कभी भी कुछ हो सकता है, जो अस्वाभाविक हो, वह चुप था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book