अतिरिक्त >> दरिंदे दरिंदेहमीदुल्ला
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समाज और व्यवस्था के प्रति आक्रोश
(पतंगबाजी। पुरुष पतंग उड़ाता है। स्त्री चरखी पकड़ती है गिल्ली डण्डा।
स्त्री गिल्ली फेंकती है।)
(दोनों खेलने की मुद्रा में फ्रीज़ हो
जाते हैं।)
(ध्वनि-प्रभाव)
पुरुष : जवानी
नौकरी नौकरी नौकरी नौकरी
नौकरी नौकरी नौकरी नौकरी
नौकरी नौकरी नौकरी नौकरी
माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें
माँगें माँगें माँगें माँगें
माँगें माँगें
माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें
माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें
माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें माँगें
(स्त्री-पुरुष द्वारा भटकाव का अलग-अलग अभिनय।)
(स्त्री-पुरुष द्वारा अभाव-सूचक अभिनय। पार्श्वध्वनियों के समाप्त होने तक
दोनों हाथ हवा में फैला देते हैं मानों किसी से कुछ माँग रहे हों।
(दोनों माँगने की मुद्रा में फ्रीज़ हो जाते हैं।)
(ध्वनि-प्रभाव)
स्त्री : बुढ़ापा
बाप बाप बाप बाप बाप बाप
बाप बाप बाप बाप बाप बाप
बाप बाप बाप बाप बाप बाप
बाप बाप बाप बाप बाप बाप
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(स्त्री-पुरुष द्वारा भूख, बीमारी और अभावग्रस्त बुढ़ापे का चित्रण।)
(परिवार में पारस्परिक स्नेह सौहार्द के सिकुड़ते-टूटते दायरे। विखण्डित
पारिवारिक इकाई। माता-पिता के प्रति सीमाबद्ध आदर-भाव और उसका औपचारिक
निर्वाह। रिश्तों के बीच अकेलेपन और उसके एहसास की अक्कासी।)
(फ्रीज़।)
(ध्वनि-प्रभाव)
पुरुष : रोटी
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
चील चील चील चील चील
(पुरुष फावड़े से मिट्टी खोदता है। स्त्री टोकरी में मिट्टी डालकर फेंकती
है। पुरुष आकाश की ओर देखकर हाथ से पेशानी से पसीना पोंछता है। दोनों बैठ
कर रोटियों का अँगौछा खोलकर जैसे ही लुकमा मुँह में डालने लगते हैं, तो
ऐसे व्यवहार करते हैं, मानो कोई चील झपटकर उनके हाथों की रोटी ले उड़ी हो।
इसी मुद्रा में फ्रीज़ हो जाते हैं।)
(ध्वनि-प्रभाव)
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