अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
बान कूटता है
बान कूटता है,
मुगरी लेकर सुख का
राज लूटता है।
मूज के फाले-छाले
अच्छे बाधोंवाले;
ऐसे बैठे ठाले
काज टूटता है।
कहीं रँगे-रँगे, डले
बिनने के लिए भले,
लड़की बैठे अगले,
सुआ फूटता है।
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