अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
लो रूप, लो नाम
लो रूप, लो नाम,
दो अमल विश्राम।
श्रम हरो भव जन्य,
यश धवल बहु मन्य,
बदलो नयन वन्य,
धन्य कर दो धाम।
हो शङ्खनाद, जय,
दूर अपवाद, भय,
रोग, अवसाद, क्षय,
खो जाय खल काम।
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