अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
वही चरण शरण बने
वही चरण शरण बने।
कटें कलुष गहन घने।
लगे हे तुम्हीं से मन,
उर, नूपुर-मधुर-रणन,
तुम्हारे अजिर, आँगन,
मङ्गल के गीत गने।
उठे ठाट जब जग से,
पड़े बाट इस मग से,
खुले हाट अग डग से,
तुम्हारे वितान तने।
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