अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
दुख हर दे, जल-शीतल सर दे
दुख हर दे, जल-शीतल सर दे!
वरदे! पावन उर को कर दे!
शून्य कोष ओसों से भर दे,
तरु को रश्मी, पत्र-मर्मर दे,
मौन तूलि को मूर्ति मुखर दे,
पग-पग को जग के तग तर दे!
पारण को गोधूम-चूर्ण, घृत,
सुरभि सुचारण को सौरभ-सृत,
निर्धारण को नाम अलंकृत,
मारण को कलि-कल्मष, वर दे!
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