अतिरिक्त >> आराधना आराधनासूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
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जीवन में सत्य, सुंदर को बखानती कविताएँ
उर्ध्व चन्द्र, अधर चन्द्र
उर्ध्व चन्द्र, अधर चन्द्र,
माझ मान मेघ मन्द्र।
क्षण-क्षण विद्युत प्रकाश,
गुरु गर्जन मधुर भास,
कुज्झटिका अट्टहास,
अन्तर्दृग विनिस्तन्द्र।
विश्व अखिल मुकुल-बन्ध,
जैसे यतिहीन छन्द,
सुख की गति और मन्द,
भरे एक-एक रन्ध्र।
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