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दो भद्र पुरुष

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7642
आईएसबीएन :9781613010624

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दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...

: ५ :

आधा घण्टा प्रतीक्षा करने के बाद कार्यालय से फोन आया। फोन कस्तूरीलाल ने ही किया था। उसने कहा, ‘‘पिताजी, आपने मामाजी की कोठी पर फोन किया था?’’

‘‘हाँ।’’

‘‘कहाँ से किया था?’’

‘‘घर से।’’

‘‘ओह! मैं समझा कम्पनी के दफ्तर से किया था। खैर, मैं आ रहा हूँ।’’

‘‘देखो, तुम्हारे मामाजी दफ्तर में आये हैं कि नहीं?’’

‘‘वे मेरे सामने बैठे हैं।’’

‘‘उनको फोन दे दो।’’

‘‘हलो चरण! कहाँ थे तुम?’’

‘‘एक केस की जाँच-पड़ताल में लगा था, तीन दिन से घर पर भी नहीं जा पाया।’’

‘‘ओह! बहुत जटिल केस है क्या?’’

‘‘जी।’’

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