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दो भद्र पुरुष

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7642
आईएसबीएन :9781613010624

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दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...

द्वितीय परिच्छेद

: १ :

गजराज ने ‘पंजाब बीमा कम्पनी’ नाम से एक कम्पनी चालू कर दी। वह स्वयं उसका मैनेजिंग डायरेक्टर बन गया। बीसियों मुख्य एजेन्ट, अनेक स्थानीय तथा ट्रेवलिंग एजेण्ट रख लिये गए। डॉक्टर और वकील भी इस कार्य के लिए रखे गए। कनॉट प्लेस में एक किराये के मकान में कम्पनी का कार्यालय बना लिया गया।

चरणदास को बीमा कम्पनी का सेक्रेटरी नियुक्त कर दिया गया। उसको बीमा व्यवसाय-सम्बन्धी वह सब साहित्य जो हिन्दुस्तान में प्राप्य था, पढ़ने के लिए कहा गया।

चरणदास की आँखें तब खुलीं, जब उसने अनायास ही लाखों रुपये जेब में आते देखे। जितना भी कार्य बीमा कम्पनी में आता था, उस सब पर उसको कमीशन दिया जाता था। इस कमीशन के अतिरिक्त उसे छः सौ रुपये मासिक वेतन भी मिलता था।

चरणदास के वे मोटे खद्दर के कपड़े बीमा कम्पनी के एजेण्ट्स और कर्मचारियों में उसकी मान-प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले ही सिद्ध हुए। सबसे बड़ी बात यह हुई कि छः मास में ही कम्पनी के एजेण्ट्स ने अस्सी लाख का काम किया। इस अस्सी लाख की वर्ष-भर की किस्त साढ़े पाँच लाख मिली। इसमें से सेक्रेटरी का कमीशन बीस हज़ार और ऐजेण्ट्स तथा कार्यालय का व्यय एक लाख रुपया, मैनेजिंग डायरेक्टर और अन्य डायरेक्टरों की फीस पचास हज़ार रुपया देकर नकद साढ़े तीन लाख रुपया हाथ में बच गया। इसमें से दो लाख सरकारी जमानती बांड्स में देकर भी डेढ़ लाख रुपया कर्ज़ देने के लिए बच गया।

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