ई-पुस्तकें >> दो भद्र पुरुष दो भद्र पुरुषगुरुदत्त
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दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...
‘‘यहाँ अंग्रेज़ों का राज्य है। ये लोग राज्य चलाते हैं।’’
‘‘किन पर राज्य करते हैं ये?’’
‘‘हिन्दुस्तानियों पर।’’
‘‘क्यों राज्य करते हैं?’’
‘‘हिन्दुस्तानी परस्पर लड़ते थे, इसलिए अंग्रेज़ों का राज्य हो गया। हिन्दुस्तानी मूर्ख हैं, अनपढ़ हैं, मूर्ति-पूजा करते हैं, इस प्रकार की अनेक बुरी बातें मानते हैं।’’
‘‘क्या बुरी बातें मानते हैं।’’
‘‘विवाह बचपन में ही कर देते हैं, विधवा का कभी विवाह ही नहीं करते, छोटी जात वालों से घृणा करते हैं।’’
‘‘तो क्या ये सब बुरी बातें हैं?’’
‘‘हाँ, हमारे मास्टरजी ने बताया है।’’
‘‘यदि हम ये सब बातें न करें तो क्या अंग्रेज़ राज्य छोड़ देंगे और यहाँ से चले जायँगे?’’
‘‘यह तो मुझको पता नहीं। परन्तु एक बात है। हमारे मास्टर ने बताया है कि यदि अंग्रेज़ यहाँ से चले जाएँ तो मुसलमान हिन्दुओं को कच्चा ही चबा जायँगे।’’
‘‘सत्य! तो क्या हिन्दू समाप्त हो जाएँगे?’’
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