लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> दो भद्र पुरुष

दो भद्र पुरुष

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7642
आईएसबीएन :9781613010624

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

377 पाठक हैं

दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...

: ३ :

कस्तूरीलाल जब घर पहुँचा तो गजराज ने उसे अपने पास बुलाकर कहा, ‘‘कहाँ थे इस समय तक?’’

‘‘लायब्रेरी गया था।’’

‘‘देखो, कल से तुम्हें कम्पनी के कार्यालय में जाना होगा। तुमको अभी अस्थायी रूप में कम्पनी का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है।’’

‘‘सेक्रेटरी?’’

‘‘हाँ, आज डायरेक्टर्स की मीटिंग हुई और उसमें यह निश्चय किया गया कि चरणदास से त्याग-पत्र माँग लिया जाय तथा उसके स्थान पर तुमको अस्थायी रूप से कम्पनी का सेक्रेटरी नियुक्त कर दिया जाय। तुम्हें सात सौ रुपये मासिक वेतन मिलेगा। यदि आगामी बैठक में तुम्हें सेक्रेटरी के रूप में स्वीकार कर लिया गया तो इस वेतन के अतिरिक्त प्रीमियम की आय पर दो प्रतिशत कमीशन भी मिलेगा।’’

कस्तूरीलाल यह तो जानता था कि उसके पिता के सबसे अधिक हिस्से हैं, इस कारण वे जो चाहें हो सकता है। परन्तु यह सब क्यों किया गया? चरणदास ने क्या अपराध किया है, जिससे उसे इस पदवी को छोड़ने के लिए विवश किया जा रहा है? उसने पूछा, ‘‘परन्तु पिताजी! मामाजी का क्या हुआ?’’

‘‘वह कोई और काम करेगा। देखो, सेक्रेटरी का स्थान तो पुरस्कार का स्थान है। जिसको डायरेक्टरों का बहुमत पसन्द करे उसको पुरस्कार के रूप में यह स्थान मिल जाता है। चरणदास ने अब तक बहुत काम लिया है। अब तुमको भी इस सोने की खान में डुबकी लगाने का अवसर दिया जा रहा है।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book