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उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598
आईएसबीएन :9781613011331

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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


‘‘उसके कटू वचन सुनकर आपको दुःख नहीं होता?’’

‘‘ये तो अपने कर्मों के फल है।’’

‘‘उसे हमारे आने की सूचना दे दीजिए।’’

‘‘मेरे वहाँ जाने से तो वह भड़क उठेगी। सुमति बहन! तुम उसके कमरे में चली जाओ। वह बैठी हुई कुछ पढ़ रही होगी।’’

‘‘यदि उसको यहाँ लाना चाहो तो मैं उठकर अपने कमरे में चली जाती हूँ।’’

सुमति उठकर नलिनी के शयनागार में गई तो कात्यायिनी उठकर अपने कमरे में चली गई। सुमति ने देखा कि नलिनी ऐमिली ज़ोला का एक अंग्रेजी उपन्यास पढ़ रही है।

‘‘क्या पढ़ रही हो?’’ प्रवेश करते हुए सुमति ने प्रश्न किया।

नलिनी सुमति का स्वर सुन उठकर उसके गले मिलने लगी।

‘‘तुम्हें किसने बताया कि मैं यहाँ आ गई हूँ।’’

‘‘तुम्हारे भाईसाहब ने डॉक्टर साहब को बताया था और उन्होंने मुझे बताया। आज हम दोनों ही तुमसे मिलने के लिए आए है।’’

‘‘डॉक्टर साहब कहाँ हैं?’’

‘‘बैठक में।’’

‘‘भाभी भी वहीं पर हैं क्या?’’

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