लोगों की राय

उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598
आईएसबीएन :9781613011331

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

327 पाठक हैं

बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


‘‘संसार के सब पदार्थ और सब कार्य उसके ही रचे हुए हैं, उससे ही रचे जाते हैं। अतः विवाह भी उसके द्वारा ही नियत किया गया है। उसके लिए ही नियत हुआ है और उससे ही सम्पन्न होता है। इस कारण विवाह भी ब्रह्म को जानने का द्वार है।’’

‘‘भाभी! मैं नहीं समझी। तुम क्या कह रही हो?’’

‘‘देखो, निष्ठा! तीन ब्रह्म हैं। तीनो अक्षर हैं। उपनिषद् में एक स्थान पर कहा है कि–
सर्वाजीवे सर्वसंस्थे बृहन्ते अस्मिन्हंसों भ्राम्यते बह्मचक्रे।
पृथगात्मानं प्रेरितारं च भत्वा जुष्टस्ततस्तेनामृतत्वमेति।।
‘‘इसका अर्थ सरल ही है। सब जीव हंस के समान इस ब्रह्मचक्र में फँसे हुए जन्म-मरण के चक्र में घूम रहे हैं। इस ब्रह्मचक्र और जीवों से पृथक् परमात्मा है जिसकी प्रेरणा से यह चल रहा है। जब जीव अपने को परमात्मा से जुष्ट अर्थात् जो़ड़ लेते हैं तब वे अमर हो जाते हैं और इस चक्र से मुक्त हो जाते हैं।’’

‘‘ब्रह्मचक्र अर्थात् प्रकृति भी अक्षर है। जीवात्मा भी अक्षर है और परमात्मा भी अक्षर है। तीनों ब्रह्म हैं इन तीनों को जानकर ही ब्रह्माविद् हो सकता है।’’

‘‘तो विवाह किए बिना उपाय नहीं?’’

‘‘विवाह अनिवार्य नहीं, परन्तु यह प्रकृति-रूपी ब्रह्म को जानने का सुगम उपाय है।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book