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उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598
आईएसबीएन :9781613011331

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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


संस्कृत में भारत के प्रायः सभी प्राचीन ग्रन्थ है और उनका इतिहास के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। अर्थशास्त्र का राजनीति से सम्बन्ध है। वह भी इसलिए कि आज राज्यों ने देश और जातियों की पूर्ण धन-सम्पदा पर अधिकार कर रखा है।’’

नलिनी ने बी० ए० में स्वयं इतिहास तथा अर्थशास्त्र लिया था और अपने जैसों को मूर्ख कहे जाते सुन उसको पहले तो रोष आया, फिर उसने बात बदल दी। वह मन में निश्चय करके आई थी कि सुदर्शन के परिवार के लोगों से लड़ेगी नहीं, अपितु उनसे स्नेह का सम्बन्ध स्थापित करेगी। उसने पूछा, ‘‘प्रोफेसर साहब की होने वाली पत्नी को तो देखा होगा।’’

‘‘हाँ, कई बार उससे मिलने जा चुकी हूं।’’

‘‘कैसी है वह?’’

निष्ठा ने मुस्कराकर कहा–‘‘मुग्धत्वस्य च यौवनस्य च सखे मध्ये मधुश्री स्थिता। कुछ समझी हैं आप?’’

‘‘मैं यह विद्या नहीं पढ़ी।’’

‘‘मैं कह रही थी जैसे वसन्त ऋतु; शरद् और ग्रीष्म ऋतुओं के बीच टिकी होती है, वैसे ही बचपन और यौवन के बीच की अवस्था में है। और भी -

अभरणस्याभरण प्रसाधन विधः प्रसाधनविशेषः।
उपमानस्यापि सखे प्रत्युपमान वपुस्तस्याः।।

अर्थात् जो आभूषण वह पहने होती है, उसके सौन्दर्य के कारण ही सुन्दर प्रतीत होते हैं। श्रृंगार को भी वह श्रृंगारित करती है। वह ऐसी है कि यदि किसी अति सुन्दर लड़की की उपमा देनी हो तो उससे उपमा दी जा सकती है।’’

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