लोगों की राय

उपन्यास >> सुमति

सुमति

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7598
आईएसबीएन :9781613011331

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

327 पाठक हैं

बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।


‘‘यहाँ तुम्हें किसी प्रकार का कोई कष्ट है क्या?’’

‘‘मुझे तो कुछ नहीं, हाँ आप लोगों को कुछ-न-कुछ था ही। मैं उसे निवारण करने का यत्न कर रही हूँ।’’

‘‘इस विषय में तुमको किसी ने कुछ कहा है क्या?’’

‘‘नहीं, कहना तो और भी कष्टप्रद होता। जो कष्ट मौनरूपेण सहा जाए, उसकी महत्ता अधिक होती है।’’

‘‘मैं समझती हूँ कि तुमने अपने से ही यह कल्पना कर ली है कि तुम्हें रोटी देने में हमें कष्ट हो रहा है। ऐसी कोई बात नहीं है। फिर भी तुम्हारे काम करने में हमको किसी प्रकार की कोई आपत्ति क्यों होगी? परन्तु हमारे कारण तुमको नौकरी करनी पड़ रही है, यह बात हमारे मस्तिष्क में चंचलता उत्पन्न कर रही है।’’

‘‘यह मेरी भूल हो सकती है। फिर भी मेरे मन में जो बात थी, वह मैंने बता दी। बताने की इच्छा तो अगले मास की पहली तारीख को ही थी किन्तु प्रसंगवश वह इसी समय बता दी है।’’

सुदर्शन ने कहा, ‘‘बिना किसी दूसरे से राय किए भूल भी तो हो सकती है। क्या नौकरी के अतिरिक्त कोई अन्य उपाय नहीं हो सकता था?’’

‘‘तो क्या नौकरी केवल विवशता के रूप में ही की जा सकती है?’’

‘‘और नहीं तो क्या तुम इसे मनोरंजन समझती हो!’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book