उपन्यास >> सुमति सुमतिगुरुदत्त
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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।
‘‘यदि यौन-क्रिया में से धन का हाथ निकाल दें तो फिर इसका होना केवल परस्पर की सहमति अथवा सन्तानोत्पत्ति के निमित्त हो सकेगा। ये दोनों स्थितियाँ क्षम्य होंगी। एक से गृहस्थाश्रम की स्थापना होगी और दूसरे से प्राकृतिक माँग की पूर्ति।’’
‘‘तो विवाह कराया ही क्यों जाए?’’
‘‘केवल इसलिए कि समाज से गृहस्थाश्रम में प्रविष्ट होने के अधिकार प्राप्त किए जा सके।’’
‘‘वे क्या हैं?’’
‘‘वे थे तो बहुत। अभी भी काफी है। स्त्री के लिए सबसे बड़ा अधिकार माँ बनने के समय प्राप्त होता है। इससे पूर्व पत्नी होने का अधिकार है। ये इतने हैं कि मैं इनकी गणना नहीं करा सकती। आपको तो उनका ज्ञान होना ही चाहिए। वास्तव में आपको इसलिए उनका भान नहीं हो रहा क्योंकि हमारे देश में अधिकांश माताएँ विवाहिता हैं और सबके अधिकार लगभग समान होने से कुछ विशेषता दिखाई नहीं देती।’’
‘‘अमेरिका और इंग्लैण्ड में अविवाहिता माताएँ हैं और विवाहिता माताओं को अपने अधिकारों और सुख-सुविधा का भान होता रहता है, यही कारण है कि वहाँ इतनी स्वतंत्रता होने पर भी विवाह होते हैं। तलाकों की संख्या बहुत अधिक होने पर भी पुनः विवाह होते है।’’
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