उपन्यास >> सुमति सुमतिगुरुदत्त
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बुद्धि ऐसा यंत्र है जो मनुष्य को उन समस्याओं को सुलझाने के लिए मिला है, जिनमें प्रमाण और अनुभव नहीं होता।
‘‘यह चर्चा डॉक्टर साहब, सत्य पर आधारित है।’’
‘‘तो उसके होने वाला बच्चा तुमसे ही है?’’
सुदर्शन हँस पड़ा। बात ‘स्टाफ-रूम’ में ही हो रही थी। कुछ अन्य सहयोगी भी वहाँ बैठे थे। डॉ० दास ने जब प्रश्न किया तो अन्य बैठे हुओं के कान खड़े हो गए। वे सुदर्शन का उत्तर सुनने के लिए उत्सुक थे। सुदर्शन ने हँसते हुए कहा, ‘‘डॉक्टर साहब। मेरे कहने से यह तो सिद्ध नहीं होता। सबसे अधिक घनिष्ठता तो माँ की पुत्र से रहती है। फिर बहनों से भी तो घनिष्ठता होती है।’’
‘‘और सखा-सखियों में नहीं होती क्या?’’
‘‘जी! परन्तु इन सब सम्बन्धों से बच्चे नहीं होते। बच्चे तो केवल पति-पत्नी के कार्य का परिणाम होते हैं और यह कार्य घनिष्ठता के बिना भी होता है और बच्चे हो जाते हैं।’’
‘‘और आपका उससे कैसा व्यवहार है? पति-पत्नी का-सा अथवा नहीं?’’
‘‘मेरा उससे किसी प्रकार का व्यवहार नहीं। वह मेरी माताजी के घर में रहती है और मेरी पत्नी की सिफारिश पर रहती है।’’
‘‘उसका उससे कब का सम्बन्ध है?’’
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