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उपन्यास >> बनवासी

बनवासी

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :253
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7597
आईएसबीएन :9781613010402

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नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...


‘‘डॉक्टर को बुलाकर दिखाओ।’’

‘‘हाँ, मैं टेलीफोन कर रही हूँ।’’

डॉक्टर का मज़ा लेने के लिए माइकल वहीं कुर्सी पर बैठ गया। सोफी ने फोन पर डॉक्टर से पूछा, ‘‘क्या आप आ सकते हैं?’’

‘‘क्यों क्या बात है?’’

‘‘उसी औरत को दिखाना है।’’

‘‘उसे हस्पताल में भेज दीजिए, उसकी कमर पर प्लास्टर लगेगा।’’

‘‘क्यों?’’

‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी ’हिप-बोन’ में फ्रेक्चर१ हो गया है।’’

‘‘ठीक है, इस समय वहाँ कोई काम न हो तो आ जाइए। कमांडिंग जनरल आपको चाय पर बुला रहे हैं।’’

‘‘बहुत अच्छे, मैं आ रहा हूँ।’’

पाँच मिनट में डॉक्टर वहाँ पहुँच गया। उसके आने पर सोफी ने बैरा को चाय लाने का आदेश दे दिया।

डॉक्टर ने बैठते हुए कहा, ‘‘तब तक आप उस औरत को स्ट्रेचर पर हस्पताल भेज दीजिए।’’

‘‘पहले आप देख लीजिए। उससे पहले साहब आपसे कुछ बात करना चाहते हैं।’’

माइकल ने पूछा, ‘‘डॉक्टर साहब! ‘क्वेकरी’ किसको कहते हैं?’’

‘‘जिसका कोई साइण्टिफक आधार न हो।’’

‘‘किन्तु रोगी उससे किस प्रकार ठीक हो जाते हैं?’’

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