उपन्यास >> बनवासी बनवासीगुरुदत्त
|
410 पाठक हैं |
नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...
खानखाना ने बताया, ‘‘हाँ हूज़ूर, यहाँ आई थीं और यहाँ के साहब के साथ कोठी की तरफ चली गई थीं।’’
वह खड़ा-खड़ा विचार कर रहा था कि वे किधर गए होगें तभी उसे दूर से सैली को गोद में लिए केवल बिन्दू आती दिखाई दी। वह इसका अर्थ नहीं समझ सका।
बिन्दू आई तो रिवाल्वर को अपने पति को पकड़ाते हुए अचेत हो उसके पाँव में गिर पड़ी। प्रातःकाल से मस्तिष्क पर पड़ने वाला बोझा अब असह्य हो गया था।
|