लोगों की राय

परिवर्तन >> बिखरे मोती

बिखरे मोती

सुभद्रा कुमारी चौहान

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7135
आईएसबीएन :9781613010433

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

6 पाठक हैं

सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के समय यत्र तत्र लिखी गई कहानियाँ

दृष्टिकोण

निर्मला विश्व प्रेम की उपासिका थी। संसार में सब के लिए उसके भाव समान थे। उसके हृदय में अपने-पराये का भेद-भाव न था स्वभाव से ही वह मिलनसार, सरल, हँसमुख और नेक थी। साधारण पढ़ी-लिखी थी। अंगरेजी में शायद मैट्रिक पास थी। परन्तु हिन्दी का उसे अच्छा ज्ञान था। साहित्य के संसार में उसका आदर था और काव्यकुंज की वह एक मनोहारिणी कोकिला थी।

निर्मला का जीवन बहुत निर्मल था। दूसरों के आचरण को सदा भलाई की ही नजर से देखती। यदि कोई उसके साथ बुराई भी करने आता तो निर्मला यही सोचती कदाचित् उद्देश्य बुरा न रहा हो, भूल से ही उसने ऐसा किया हो।

पतितों के लिए भी उसका हृदय उदार और क्षमा का भंडार था। यदि वह कभी किसी को कोई अनुचित काम करते देखती, तो भी वह उसका अपमान या तिरस्कार कभी न करती। प्रत्युत मधुरतर व्यवहार से ही वह उसे समझाने के प्रयत्न करती। कठोर वचन कह कर किसी का जी दुखाना निर्मला ने सीखा ही न था। किन्तु इसके साथ ही साथ, जितनी वह नम्र, सुशील और दयालु थी उतनी ही वह आत्माभिमानी, दृढ़-निश्चयी और न्यायप्रिय भी थी। नौकर-चाकरों के प्रति भी निर्मला का व्यवहार बहुत दयापूर्ण होता। एक बार की बात है, उसके घर की एक कहारिन ने तेल चुराकर एक पत्थर की आड़ में रख दिया। उसकी यह नियत थी कि घर जाते समय बाहर के बाहर चुपचाप लेती चली जायगी। किसी कार्यवश रमाकान्त जी उसी समय वहाँ पहुँच गये, तेल पर उनकी दृष्टि पड़ी, पत्नी को पुकार कर पूछा—निर्मला यहाँ तेल किसने रखा है?

निर्मला ने पास ही खड़ी हुई कहारिन की ओर देखा। उसके चेहरे की रंगत स्पष्ट बतला रही थी कि यह काम उसी का है। किन्तु निर्मला ने पति को जवाब दिया—मैंने ही रख दिया होगा, उठाने की याद न रही होगी।

पति के जाने के बाद निर्मला ने कटोरे में जितना तेल था उतना ही और डालकर कहारिन को दे दिया और बोली—जब जिस चीज की जरूरत पड़े, माँग लिया करो, मैंने कभी देने से इन्कार तो नहीं किया?

जो प्रभाव कदाचित् डाँट-फटकार से भी न पड़ता वह निर्मला के मधुर और दयापूर्ण बर्ताव से पड़ा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai