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ई-पुस्तकें >> शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिता

शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2081
आईएसबीएन :81-293-0099-0

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...

मुनीश्वरो! जिस-जिस मनोरथ को पाने की इच्छा रखकर श्रेष्ठ मनुष्य इन बारह नामों का पाठ करेंगे, वे इस लोक और परलोक में उस मनोरथ को अवश्य प्राप्त करेंगे। जो शुद्ध अन्तःकरणवाले पुरुष निष्कामभाव से इन नामों का पाठ करेंगे, उन्हें कभी माता के गर्भ में निवास नहीं करना पड़ेगा। इन सब के पूजनमात्र से ही इहलोक में समस्त वर्णों के लोगों के दुःखों का नाश हो जाता है और परलोक में उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नैवेद्य यत्नपूर्वक ग्रहण करना (खाना) चाहिये। ऐसा करने वाले पुरूष के सारे पाप उसी क्षण जलकर भस्म हो जाते हैं।

ग्राह्यमेषां च नैवेद्यं भोजनीयं प्रयत्नत:।
तत्कर्तुः सर्वपापानि भस्मसाद्यान्ति वै क्षणात्।।

(शि० पु० को० रु० सं० १। २८)

यह मैंने ज्योतिर्लिंगोंके दर्शन और पूजन का फल बताया। अब ज्योतिर्लिंगोंके उपलिंग बताये जाते हैं। मुनीश्वरो! ध्यान देकर सुनो। सोमनाथ का जो उपलिंग है उसका नाम अन्तकेश्वर है। वह उपलिंग मही नदी और समुद्र के संगम पर स्थित है। मल्लिकार्जुन से प्रकट उपलिंग रुद्रेश्वर के नामसे प्रसिद्ध है। वह भृगुकक्ष में स्थित है और उपासकों को सुख देनेवाला है। महाकालसम्बन्धी उपलिंग दुग्धेश्वर या दूधनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। वह नर्मदा के तटपर है तथा समस्त पापों का निवारण करने वाला कहा गया है। ओंकारेश्वर-सम्बन्धी उपलिंग कर्दमेश्वरके नामसे प्रसिद्ध है। वह बिन्दु सरोवर के तटपर है और उपासक को सम्यूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करता है। केदारेश्वर सम्बन्धी उपलिंग भूतेश्वर के नामसे प्रसिद्ध है और यमुनातट पर स्थित है। जो लोग उसका दर्शन और पूजन करते हैं, उनके बड़े-से-बड़े पापों का वह निवारण करने वाला बताया गया है। भीमशंकर सम्बन्धी उपलिंग भीमेश्वर के नामसे प्रसिद्ध है। वह भी सह्य पर्वत पर ही स्थित है और महान् बल की वृद्धि करनेवाला है। नागेश्वर सम्बन्धी उपलिंग का नाम भी भूतेश्वर ही है वह मल्लिका सरस्वती के तटपर स्थित है और दर्शन करनेमात्र से सब पापों को हर लेता है। रामेश्वर से प्रकट हुए उपलिंग को गुप्तेश्वर और घुश्मेश्वर से प्रकट हुए उपलिंग को व्याघ्रेश्वर कहा गया है। ब्राह्मणो! इस प्रकार यहाँ मैंने ज्योतिर्लिंगों के उपलिंगों का परिचय दिया।

ये दर्शनमात्रसे पापहारी तथा सम्पूर्ण अभीष्ट के दाता होते हैं। मुनिवरो! ये मुख्यता को प्राप्त हुए प्रधान-प्रधान शिवलिंग बताये गये। अब अन्य प्रमुख शिवलिंगों का वर्णन सुनो।

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