ई-पुस्तकें >> शिव पुराण 3 - शतरुद्र संहिता शिव पुराण 3 - शतरुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव के विभिन्न अवतारों का विस्तृत वर्णन...
परम आत्मबल से सम्पन्न परमेश्वर शम्भु ने भक्तों को अभीष्ट फल प्रदान करनेवाला ओंकार नामक चौथा अवतार धारण किया। मुने! विन्ध्यगिरि ने भक्तिपूर्वक विधि-विधान से शिवजी का पार्थिवलिंग स्थापित किया। उसी लिंग से विन्ध्य का मनोरथ पूर्ण करनेवाले महादेव प्रकट हुए। तब देवताओं के प्रार्थना करने पर भुक्ति-मुक्ति के प्रदाता भक्तवत्सल लिंगरूपी शंकर वहाँ दो रूपों में विभक्त हो गये। मुनीश्वर! उनमें एक भाग ओंकार में ओंकारेश्वर नामक उत्तम लिंगके रूपमें प्रतिष्ठित हुआ और दूसरा पार्थिव-लिंग अमरेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुआ। मुने! इन दोनों में जिस किसी का भी दर्शन-पूजन किया जाय, उसे भक्तों की अभिलाषा पूर्ण करनेवाला समझना चाहिये। महामुने! इस प्रकार मैंने तुम्हें इन दोनों महादिव्य ज्योतिर्लिंगों का वर्णन सुना दिया।
परमात्मा शिव के पाँचवें अवतार का नाम है केदारेश। वह केदार में ज्योतिर्लिंगरूपसे स्थित है। मुने! वहाँ श्रीहरि के जो नर-नारायण नामक अवतार हैं उनके प्रार्थना करने पर शिवजी हिमगिरि के केदारशिखर पर स्थित हो गये। वे दोनों उस केदारेश्वर लिंग की नित्य पूजा करते हैं। वहाँ शम्भु दर्शन और पूजन करनेवाले भक्तों को अभीष्ट प्रदान करते हैं। तात! सर्वेश्वर होते हुए भी शिव इस खण्ड के विशेषरूप से स्वामी हैं। शिवजी का यह अवतार सभी अभीष्टों को प्रदान करनेवाला है।
महाप्रभु शम्भु के छठे अवतार का नाम भीमशंकर है। इस अवतार में उन्होंने बड़ी-बड़ी लीलाएँ की हैं और भीमासुर का विनाश किया है। कामरूप देश के अधिपति राजा सुदक्षिण शिवजी के भक्त थे। भीमासुर उन्हें पीड़ित कर रहा था। तब शंकरजी ने अपने भक्त को दुःख देनेवाले उस अद्भुत असुर का वध करके उनकी रक्षा की। फिर राजा सुदक्षिण के प्रार्थना करनेपर स्वयं शंकरजी डाकिनी में भीमशंकर नामक ज्योतिर्लिंगस्वरूप से स्थित हो गये।
मुने! जो समस्त ब्रह्माण्डस्वरूप तथा भोग-मोक्ष का प्रदाता है वह विश्वेश्वर नामक सातवाँ अवतार काशी में हुआ। मुक्तिदाता सिद्धस्वरूप स्वयं भगवान् शंकर अपनी पुरी काशी में ज्योतिर्लिंगरूप में स्थित हैं। विष्णु आदि सभी देवता, कैलासपति शिव और भैरव नित्य उनकी पूजा करते हैं। जो काशी-विश्वनाथ के भक्त हैं और नित्य उनके नामों का जप करते रहते है वे कर्मों से निर्लिप्त होकर कैवल्यपद के भागी होते हैं।
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