ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
विभिन्न पुष्पों, अन्नों तथा जलादि की धाराओं से शिवजी की पूजा का माहात्म्य
ब्रह्माजी बोले- नारद। जो लक्ष्मी-प्राप्ति की इच्छा करता हो, वह कमल, बिल्वपत्र, शतपत्र और शंखपुष्प से भगवान् शिव की पूजा करे। ब्रह्मन्! यदि एक लाख की संख्या में इन पुष्पों द्वारा भगवान् शिव की पूजा सम्पन्न हो जाय तो सारे पापों का नाश होता है और लक्ष्मी की भी प्राप्ति हो जाती है इसमें संशय नहीं है। प्राचीन पुरुषों ने बीस कमलों का एक प्रस्थ बताया है। एक सहस्र बिल्वपत्रों को भी एक प्रस्थ कहा गया। एक सहस्त्र शतपत्र से आधे प्रस्थ की परिभाषा की गयी है। सोलह पलों का एक प्रस्थ होता है और दस टंकों का एक पल। इस मान से पत्र, पुष्प आदि को तौलना चाहिये। जब पूर्वोक्त संख्या वाले पुष्पों से शिव की पूजा हो जाती है, तब सकाम पुरुष अपने सम्पूर्ण अभीष्ट को प्राप्त कर लेता है। यदि उपासक के मन में कोई कामना न हो तो वह पूर्वोक्त पूजन से शिवस्वरूप हो जाता है।
मृत्युंजय-मन्त्र का जब पाँच साख जप पूरा हो जाता है तब भगवान् शिव प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। एक लाख के जप से शरीर की शुद्धि होती है दूसरे लाख के जप से पूर्वजन्म की बातों का स्मरण होता है तीसरे लाख पूर्ण होने पर सम्पूर्ण काम्य वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। चौथे लाख का जप होने पर स्वप्न में भगवान् शिव का दर्शन होता है और पाँचवें लाख का जप ज्यों ही पूरा होता है भगवान् शिव उपासक के सम्मुख तत्काल प्रकट हो जाते हैं। इसी मन्त्र का दस लाख जप हो जाय तो सम्पूर्ण फल की सिद्धि होती है। जो मोक्ष की अभिलाषा रखता है वह (एक लाख) दर्भों द्वारा शिवका पूजन करे। मुनिश्रेष्ठ! सर्वत्र लाख की ही संख्या समझनी चाहिये। आयु की इच्छावाला पुरुष एक लाख दूर्वाओं द्वारा पूजन करे। जिसे पुत्र की अभिलाषा हो, वह धतूरे के एक लाख फूलों से पूजा करे। लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभदायक माना गया है। अगस्त्य के एक लाख फूलों से पूजा करनेवाले पुरुष को महान् यश की प्राप्ति होती है। यदि तुलसीदल से शिव की पूजा करे तो उपासक को भोग और मोक्ष दोनों सुलभ होते हैं। लाल और सफेद आक, अपामार्ग और श्वेत कमल के एक लाख फूलों द्वारा पूजा करने से भी उसी फल (भोग और मोक्ष) की प्राप्ति होती है। जपा (अड़हुल) के एक लाख फूलों से की हुई पूजा शत्रुओं को मृत्यु देनेवाली होती है। करवीर (कनेर) के एक लाख फूल यदि शिवपूजन के उपयोग में लाये जायँ तो वे यहाँ रोगों का उच्चाटन करनेवाले होते हैं। बन्धूक (दुपहरिया) के फूलों द्वारा पूजन करने से आभूषण की प्राप्ति होती है। चमेली से शिव की पूजा करके मनुष्य वाहनों को उपलब्ध करता है इस में संशय नहीं है। अलसी के फूलों से महादेवजी का पूजन करनेवाला पुरुष भगवान् विष्णु को प्रिय होता है। शमीपत्रों से पूजा करके मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर लेता है। बेला के फूल चढ़ाने पर भगवान् शिव अत्यन्त शुभलक्षणा पत्नी प्रदान करते हैं। जूही के फूलों से पूजा की जाय तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। कनेर के फूलों से पूजा करने पर मनुष्यों को वस्त्र की प्राप्ति होती है। सेदुआरि या शेफालिका के फूलों से शिव का पूजन किया जाय तो मन निर्मल होता है।
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