लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2079
आईएसबीएन :81-293-0099-0

Like this Hindi book 0

भगवान शिव की महिमा का वर्णन...

ऐसा विचार करके महालीला करने वाले महायोगीश्वर भगवान् भूतनाथ तत्काल ध्यान में स्थित हो गये। मुने! परमात्मा शिव जब ध्यान में लग गये, तब उनके हृदय में दूसरी कोई चिन्ता नहीं रह गयी। काली प्रतिदिन महात्मा शिव के रूप का निरन्तर चिन्तन करती हुई उत्तम भक्तिभाव से उनकी सेवा में लगी रही। ध्यानपरायण भगवान् हर स्वभाव से वहाँ रहती हुई काली को नित्य देखते थे। फिर भी पूर्व चिन्ता को भुलाकर उन्हें देखते हुए भी नहीं देखते थे।

इसी बीच में इन्द्र आदि देवताओं तथा मुनियों ने ब्रह्माजी की आज्ञा से कामदेव को वहाँ आदरपूर्वक भेजा। वे काम की प्रेरणा से काली का रुद्र के साथ संयोग कराना चाहते थे। उनके ऐसा करने में कारण यह था कि महापराक्रमी तारकासुर से वे बहुत पीड़ित थे (और शंकरजीसे किसी महान् बलवान् पुत्र की उत्पत्ति चाहते थे)। कामदेव ने वहाँ पहुँचकर अपने सब उपायों का प्रयोग किया, परंतु महादेवजी के मन में तनिक भी क्षोभ नहीं हुआ। उलटे उन्होंने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया। मुने! तब सती पार्वती ने भी गर्वरहित हो उनकी आज्ञा से बहुत बड़ी तपस्या करके शिव को पतिरूप में प्राप्त किया। फिर वे पार्वती और परमेश्वर परस्पर अत्यन्त प्रेम से और प्रसन्नतापूर्वक रहने लगे। उन दोनों ने परोपकार में तत्पर रहकर देवताओं का महान् कार्य सिद्ध किया।  

* * *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai