ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 6 देवकांता संतति भाग 6वेद प्रकाश शर्मा
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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
''जब हमने वह पेज पलटा तो अगले पेज पर हमारे पिता ने लिख रखा था-
आपने चार पेज का दारोगा वाला खत पीछे पढ़ लिया है। आपको दारोगा के गंदे इरादों का तो पता ही गया होगा - साथ ही आपने यह भी देखा - कि इसने महारानी कंचन और कमला को अपने दिमाग की मदद से कितने खूबसूरत तरीके से धोखे में डाला। मैं यहां ज्यादा कुछ भी न लिखकर केवल इतना ही लिखूंगा कि चार पेज के इस खत की नकल करके मैंने दलीपसिंह तक पहुंचा दिया। इसके जवाब में दलीपसिंह ने जो खत लिखा था - वह मेरे इस कागज के पीछे लगा हुआ है।
आप लोग - पेज उलटकर वह खत पढ़ सकते हैं। लेकिन यह समझ लेना चाहिए कि इसकी नकल मैंने दारोगा तक पहुंचा दी। यहां मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूं कि अब लगातार मैं दारोगा और दलीपसिंह के खत ही आपको पढ़वाऊंगा। बीच में मैं अपनी तरफ से कुछ नहीं लिखूंगा।
''हमने पेज पलटा और दलीपसिंह का जवाब पढ़ा।'' रामरतन बताने लगा - उसमें लिखा था-
प्यारे मेघराज,
तुम्हारा खत मिला और पढ़कर दिल को बड़ा ही रंज हुआ - वाकई तुमने कमला को सबकुछ बताकर अपने पैर में खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है। मगर - खैर, अब जो कुछ हो गया उसका अफसोस करने से क्या हासिल? अब तो हमें इन हालातो का आगे मुकाबला करना है। वाकई तुमने कंचन और कमला को अपनी बातों मेँ उलझाकर बड़ा ही खूबसूरत धोखा दिया है। मगर यह धोखा स्थायी नहीं है। किसी भी सायत तुम्हारा भेद दोनों जान सकती हैं। कंचन ने यह बात अभी तक उमादत्त तक कदाचित इसलिए नहीं पहुंचाई है कि वह तुम्हारी बहन है और तुम्हारा बुरा नहीं चाहती। अगर उसके दिल में तुम्हारे लिए एक बहन का प्यार न होता तो वह तुमसे ये सब बातें अपने खास कमरे में न करके भरे दरबार में करती। तखलिए में बुलाकर बात करने से ही साफ जाहिर है कि वह तुम्हारा बुरा नहीं चाहती। लेकिन उसके दिल की यह हालत ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकती। जैसे ही उसे यह यकीन हुआ कि तुम वाकई उमादत्त के खिलाफ बगावत करने की सोच रहे हो और तुमने झूठी बातों में फंसाकर उसे धोखा दिया है तो वह अपने पति को बचाने के लिए बेशक उमादत्त को सब कुछ बता सकती है और उन हालातों में तुम्हारे बचाव का कोई भी रास्ता बाकी नहीं बचेगा। इसलिए हमारी राय तो ये है कि हालात उतने गम्भीर होने से पहले ही निपट लिया जाए तो ठीक है।
हालांकि यह राय देते हुए हमारा दिल भी डावाँडोल हो रहा है। हम कह नहीं सकते कि हमारी इस राय को तुम मानोगे या नहीं। ऐसा भी हो सकता है कि यह राय पढ़कर तुम मुझे ही गलत समझ बैठो और नफरत करने लगो, लेकिन अगर गौर से देखोगे तो इस रास्ते के अलावा इस मुसीबत से छुटकारा पाने का दूसरा रास्ता नहीं है। अगर खुद को बचाना है और चमनगढ़ की गद्दी हासिल करनी है तो तुम्हें यह कदम अवश्य ही उठाना होगा।
अब तुम सोच रहे होगे कि ऐसी मैं कौन-सी राय जाहिर करने जा रहा हूं जिसको लिखने में इतना हिचकिचा रहा हूं - तो सुनो - हमारी राय है कि कमला और कंचन की फौरन हत्या कर दी जाए।
संभव है कि इस राय को पढ़कर तुम्हारा कलेजा कांप उठा हो और तुम्हें यह पसंद भी न हो - लेकिन ठण्डे दिमाग से सोचो तो अब बचाव के लिए तुम्हारे पास दूसरा कोई रास्ता भी बाकी नहीं बचा है। ये दोनों ही वक्त से पहले तुम्हारा भेद किसी भी वक्त खोल सकती हैं। जब तक वे दोनों दुनिया में हैं, तब तक तुम अपने किसी भी इरादे में कामयाब नहीं हो सकोगे - उनकी नजर हर वक्त तुम पर ही रहेगी। चमनगढ़ में उमादत्त की मुखालफत में अगर सुई भी गिरेगी तो मुजरिम तुम्हें ही समझा जाएगा। जब यह बात कंचन तक पहुंच गई है तो उमादत्त तक पहुंचने में भी ज्यादा देर नहीं लगेगी और उमादत्त के पास तक बात पहुंचने का मतलब सीधा है तुम्हारी दुर्गति। इसलिए तुम्हारे हक में तो एक ही राय है कि इससे पहले कि कमला और कंचन तुम्हारे भेद को किसी तीसरे आदमी के कानों तक पहुंचाएं - तुम उन्हें ही खत्म कर दो।
खत के जरिए जल्दी-से-जल्दी खबर देना कि तुम क्या करने वाले हो।
तुम्हारा - दलीपसिंह।
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