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देवकांता संतति भाग 2

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2053
आईएसबीएन :0000000

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

 

तीसरा बयान


आओ प्यारे पाठकों! आज हम आपको इस कहानी का थोड़ा-सा पिछला हिस्सा सुनाते हैं। इस किस्से को पढ़ते समय आपको यह याद रखना चाहिए कि यह किस्सा उन सभी बयानों में पहला है, जो अब तक हम लिख आए हैं। साथ ही हम यह भी कहते हैं कि वह बयान इन उलझी हुई गुत्थियों को स्पष्ट करने वाला है। इस बयान का सम्बन्ध पीछे लिखे किसी बयान से मिलेगा, तभी आप समझ पाएंगे कि असली कहानी क्या है? वो देखो एक छोटा-सा मकान - एक मकान चमनगढ़ रियासत में आबादी से अलग-थलग बना हुआ है। इम मकान में छोटे-से दो कमरे नीचे और दो ऊपर हैं, थोड़ा-सा चौक है और एक आदमी के बराबर लंबाई की लम्बी चारदीवारी से घिरा हुआ है। वो देखो-नीचे के दो कमरो में से एक में किसी चिराग की रोशनी चमक रही है।

कमरे के अन्दर चलकर हाल देखते हैं। वो देखो -- एक चारपाई पर सोलह-सत्रह साल की एक लड़की लेटी है। वह कोई खास सुन्दर तो है नहीं, परन्तु फिर भी नाक-नक्श काफी अच्छे हैं। रंग हल्का-सा सांवला है। हम जानते हैं कि हम अगर इस लड़की का परिचय दे दें तो इस बयान के प्रति आपकी दिलचस्पी बढ़ जाएगी। आप पहले भाग में किसी बयान में पिशाचनाथ नाम पढ़ चुके हैं। हमें यह बताने में कोई आपत्ति नहीं है कि यह लड़की पिशाचनाथ की बेटी है। इसका नाम जमुना है। इसकी मां यानी पिशाचनाथ की पत्नी का नाम रामकली है। पिशाच यहां के राजा दलीपसिंह का खास ऐयार है। ऐयारी के सिलसिले में वह अधिकतर बाहर ही रहता है। अत: अधिकांशत घर में रामकली और जमुना ही रहती हैं। आज रात भी पिशाच कहीं बाहर गया है। रामकली ऊपर के कमरे में सोई हुई है - परन्तु जमुना अभी तक जाग रही है। रात के इस तीसरे पहर में जमुना क्यों जग रही है, इसका सबब हम नहीं बता सकते। हां, इतना संकेत अवश्य कर सकते हैं कि आमतौर पर इस उम्र में इतनी रात तक जागने का कारण किसी से प्रीत होना होता है। इस बात से भी हम इंकार नहीं कर सकते कि जमुना प्रेम करती है। खैर, वह किससे प्रेम करती है, अभी वह लिखने की आवश्यकता नहीं जान पड़ती।

पर यह लिख देना उचित है कि अपने प्रीतम की स्मृति ही उसे सोने से रोक रही है।

कुछ देर पश्चात वह चिराग बुझा देती है और कमरे में अंधेरा करके चारपाई पर लेटकर निद्रारानी से दोस्ती करने की सोचती है। अभी निद्रा उससे दोस्ती करने हेतु हाथ बढ़ा ही रही थी कि अचानक एक खटके की आवाज उसे चौंका देती है। उसके कान सजग हो उठते हैं। उसके पिता पिशाचनाथ ने उसे भी थोड़ी-सी ऐयारी सिखाई है। इसीलिए तो हल्के-से खटके पर वह चौंक पड़ी। वह ध्यान से सुनती है तो उसे महसूस होता है कि ऊपर वाले कमरे में कुछ आदमी चल रहे हैं - जमुना सजग होकर चारपाई पर बैठ जाती है।

अपने कमरे के जंगले से वह बाहर देखती है - बाहर चन्द्रमा की चांदनी का पर्याप्त प्रकाश है। इसी प्रकाश में वह देखती है - जीने से उतरकर चार नकाबपोश चुपचाप चौक में आ गए। उसके देखते-ही-देखते ये चारों आदमी चोरों की भांति उसकी मां के कमरे की ओर बढ़े। रामकली के कमरे में जाकर वे जमुना की आंखों से ओझल हो गए। जमुना सोचने लगी कि ये कौन लोग हैं? यहां क्यों आए हैं और क्या करना चाहते हैं? साथ ही यह सोचने का भी प्रयास कर रही थी कि इस परिस्थिति में उसे क्या करना चाहिए -- किन्तु वह सोचती ही रही और अभी किसी निर्णय पर भी नहीं पहुंची थी कि वे चारों आदमी मां के कमरे से निकलकर पुन: चौक में आ गए। जमुना ने देखा कि उन चारों में से एक की पीठ पर एक गठरी लटक रही थी। जमुना ने सोचा कि शायद वे कोई चोर हैं और उनके घर से कोई सामान चुराकर ले जा रहे हैं। जमुना के देखते-ही-देखते वे चारदीवारी कूदकर घर से बाहर निकल गए। अब जमुना ने फैसला किया कि वह इन चोरों का पीछा करेगी।

पिशाचनाथ ने उसे जितनी ऐयारी सिखाई थी, उसका प्रयोग करते हुए जमुना ने उनका पीछा सतर्कता के साथ किया। वे लोग घने जंगल में घुस गए। रात के इस समय सर्दी काफी तेज थी। अगर जमुना चलते समय अपने बदन पर गर्म कपड़ा न डाल लेती तो निश्चय ही वह जाड़े में ठिठुर जाती। जंगल में कोई एक कोस तक उसने उनका पीछा किया तब उसे एक स्थान पर आग जलती दिखाई दी। उस आग के चारों ओर बैठे पांच आदमी हाथ ताप रहे थे। जमुना समझ गई कि यह मठ है। चारों नकाबपोश गठरी सम्भालकर मठ की तरफ ही बढ़ गए। जमुना तुरन्त एक पेड़ के पीछे छुप गई। उन चारों को आता देख हाथ तापते पांचों आदमी उठ खड़े हुए।

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