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देवकांता संतति भाग 1

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : राजा पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2052
आईएसबीएन :0000000

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

''आपकी स्थिति बदलती जा रही थी - कदाचित् आप पुन: वही स्वप्न देख रहे थे।'' विकास चुप हो गया।

''तुमने ठीक ही सोचा था - वास्तव में नींद आते ही मुझे पुन: वही स्वप्न दीखने लगा था।'' विजय ने पुष्टि की।

और विकास आगे सुनाने लगा-

''कुछ ही देर बाद नींद में आप कांता-कांता बड़बड़ाने लगे। उस समय मैं समझ गया कि आप ये सबकुछ नाटक नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप अपनी किसी मानसिक स्थिति से परेशान हैं। आपको वास्तव में कोई स्वप्न चमकता है - जिसका आपके जीवन से कोई गहरा सम्बन्ध है। मैंने जल्दी से भागकर मम्मी, डैडी, अजय और नाना को फोन किया।

''कुछ ही देर में ये सब भी वहां पहुंच गए। आप अपने बिस्तर पर पड़े जोर-जोर से कांता-कांता चीख रहे थे।

''आपकी आवाज सुनकर आपका नौकर पूर्णसिंह भी आ गया था। इस बार सभी को मैंने रोशनदान से वह दृश्य दिखाया - इस बार हमारे साथ-साथ नानाजी को भी ये विश्वास हो गया कि वास्तव में आप किसी मानसिक रोग से पीड़ित हैं।

''हम सबने मिलकर जोर-जोर से दरवाजा पीटा। तब कहीं आप जगे - आगे बढ़कर आपने दरवाजा खोला।''

विकास एक क्षण को रुका।

''इस बार भी मेरा मस्तिष्क मेरे नियन्त्रण में था।'' विजय बोला-''मैं जो चाह रहा था - वही बोल रहा था। यानी मैं स्वयं को विजय बता रहा था और आप सबने उस समय मुझसे स्वप्न के बारे में लाख पूछा, किन्तु मैंने नहीं बताया, क्योंकि बताने से मुझे कोई लाभ नजर नहीं आ रहा या। मैं उस सपने के प्रति दिल-ही-दिल में परेशान था। आप लोगों को मैं चिंतित नहीं करना चाहता था।''

विकास ने आगे कहना शुरू किया--

''उसके बाद आप जैसे ही सोने का प्रयास करते, आपको सपना दिखने लगता।'' विकास ने कहा- ''तीन दिन और तीन रात आप बिल्कुल नहीं सो पाए। आपकी आंखें बन्द हुईं और आपको वही सपना दिखाई दिया - आप कांता-कांता चिल्लाकर उठ बैठते। आपके इस सपने ने आपको तो परेशान कर ही दिया, हम सबको भी परेशान कर दिया। हमें लगने लगा कि आपको कोई रोग लग गया है।

''ठाकुर नाना को एक ज्योतिषी ने बताया कि आप किसी भूत-प्रेत के प्रभाव में हैं।

''एक मुल्ला ने बताया कि--आपके ऊपर किसी ने कुछ करवा रखा है। हालांकि हममें से कोई भी इन ऊटपटांग बातों पर विश्वास नहीं करता था - किन्तु बात जब अपने या अपने किसी प्यारे इन्सान पर आती है तो मन स्वयं ही ये सोचने लगता है कि कहीं ऐसा ही न हो। दिखा लेने में क्या हर्ज है?

''बस - इसी विचार के अधीन होकर हम आपको यहां जंगलपुर में ले आए। यहां एक पीटर नामक भूत-प्रेत विशेषज्ञ रहता है। हम लोग आपको उसे ही दिखाने लाए थे। अब तो मैं यही कहूंगा कि वह पादरी भी अजीब सनकी है। वह यहां जंगलपुर में - बस्ती छोड़कर जंगल में रहता है। जंगल में उसने अपनी एक कीमती कोठी बनवा रखी है। बड़े-बड़े लोग उसके पास आते हैं। सबसे आश्चर्य की बात ये है कि उसकी कोठी तक आने के लिए घोड़े के अतिरिक्त कोई अन्य सवारी उपलब्ध नहीं है। पादरी अपने क्षेत्र में इतना प्रसिद्ध है कि बड़े-बड़े नेता और अभिनेता उससे राज लेने आते हैं और जंगलपुर की बस्ती में ही उसकी कोठी तक आने के लिए घोड़े किराए पर मिलते हैं।

''हमने भी छ: घोड़े किराए पर लिये और यहां के लिए रवाना हो गए।

''उस समय आप बिल्कुल ठीक थे - तीन दिन ओर तीन रातें जगने के कारण केवल आखों में नींद थी।

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