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देवकांता संतति भाग 7

वेद प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : तुलसी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1997
पृष्ठ :348
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2050
आईएसबीएन :0000000

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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...

प्यारे पाठको, ये चौपाइयां आप (पांचवें भाग के चौथे बयान) में पढ़ आए हैँ। ठीक से समझिए, इस सवाल का जवाब हम आगे बांड के मुंह से कहलवा रहे हैं। अगर वे चौपाइयां ध्यान न हों तो (पांचवें भाग का चौथा बयान खोलकर) आप बैठ जाइये और अब ध्यान से उस सवाल का जवाब पढ़िए जो आपके लिए एक चुनौती था।

जेम्स बांड ने जवाब दिया--'हालांकि यह कोड कोई ज्यादा घुमावदार नहीं है, लेकिन बस अगर असल बात तक दिमाग न पहुंचे तो समझ में आना मुश्किल है। इसका जवाब केवल इतना ही है कि चौपाइयों का मतलब निकालने का सारा चक्कर छोड़ो - आम तौर से हर आदमी इन चौपाइयों को पढ़कर यही कोशिश करेगा कि उनका मतलब निकाला जाए, जबकि इस चक्कर में उलझने के बाद आदमी कभी भी असली मतलब तक नहीं पहुंच सकेगा। इन चौपाइयों का अर्थ क्या निकलता है इस बात को भूलकर ये देखो कि इन चौपाइयों में लिखे हर लफ्ज का पहला हर्फ क्या है? सबसे आखिर के लफ्ज का पहला हर्फ सबसे पहले लो, यह हर्फ 'स' है। इसके बाद इससे पहले के लफ्ज यानी 'फेदकर' का पहला हर्फ 'फे' लो, इसके बाद इससे पहले के लफ्ज 'दल' का पहला हर्फ 'द' लो। इन तीनों लफ्जों में पहले हर्फों को मिलाकर लफ्ज बना-'सफेद'। इसके बाद क्रम से चौपाई के हर लफ्ज का सबसे पहला हर्फ लो। 'रो' हमारे वाक्य के सबसे आखिर में जाएगा। कहना यूं चाहिए कि हर शब्द का पहला अक्षर ही काम का है, बाकी सब तो केवल चक्कर में डालने के लिए ही हैं।''

'वाह प्यारे, क्या मारा पापड़वाले को!'' टुम्बकटू उछल पड़ा।

हुचांग तेजी से चौपाइयों के सबसे आखिरी शब्द 'सफाई' से 'स' लेकर उसी क्रम से हर शब्द का पहला अक्षर लेता जा रहा था। पूरे हर्फ जुटाकर उसने कहा-''ये वाक्य तो यूं बना-सफेद चौकोर पर पैर मत रखो, खतरा है? काले चौकोर पर पैर रखकर तिलिस्मी सुरंग पार करो। बस इन चौपाइयों में से इतना ही पैगाम मिलता है।''

''इससे ज्यादा हमें चाहिए भी क्या?'' जेम्स बांड खुश होता हुआ बोला-''और वो देखो गैलरी में पड़े पत्थर की तरफ इशारा करके) गैलरी में वह पत्थर भी काले चौकोर पर रखा है। इसका मतलब हमारा वह अनुमान भी ठीक था कि फर्श पर भार पड़ने से ही संगमरमर के ये पुतले हरकत में आते हैं। हम केवल इतनी ही गलती कर रहे थे कि पूरे फर्श को एक ही जगह ले रहे थे। जबकि ये करामात केवल सफेद चौकोरों में ही है, कालों में नहीं - इस गैलरी में उतरते वक्त आदमी यह ध्यान बिल्कुल नहीं रखता कि उसका पैर कौन से चौकोर पर पड़ता है। और पुतलों के चकर में फंस जाता है। सीधी-सी बात ये है कि केवल सफेद चौकोरों का ही ताल्लुक पुतलों से है। अब हम बड़ी आसानी से वह पत्थर उठाकर ला सकते हैं।''

''तो फिर देर किस बात की है, चलो।'' टुम्बकटू ने कहा।

 

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