ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 7 देवकांता संतति भाग 7वेद प्रकाश शर्मा
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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
''पता नहीं ये गाड़ी किस तरीके से चल रही है?'' बांड बोला।
''किसी इंजन इत्यादि की आवाज तो इसमें से निकल नहीं रही है।'' हुचांग ने कहा ऐसा लगता है कि यह गाड़ी केवल हमारे भार से ही चल रही है।'' वे अभी इस तरह की दो-चार बातें ही कर पाये थे कि गाड़ी एक कमरे में दाखिल हुई और धीमी पड़कर विल्कुल ही रुक गई। हम यहां साफ तौर पर लिख सकते हैं कि यह वह कमरा है जिसका हाल हम (पांचवें भागे के चौथे बयान) में लिख आये हैं। हमारे पाठकों को अच्छी तरह से याद होगा कि उस बयान में टुम्बकटू को इसी तरह दिखाया गया था। उस बयान पर एक सरसरी नजर मारकर हमारे पाठक अच्छी तरह से वह सब याद कर सकते हैं। इसी कमरे से आगे तो वह काले ओर सफेद चौकोरों वाली गैलरी शुरू होती है। इस कमरे में गैलरी के शुरू होने वाली जगह पर वह शिला है, जिस पर वे चोपाइयां-सी लिखीं थीं। जिन्हें बार-बार पढ़ने के बाद भी टुम्बकदू न समझा था और केवल ठुमके लगाकर रह गया। इसके बाद उसने जैसे ही गैलरी में पैर रखा - संगमरमर के एक आदमी की करामात से वह बेहोश हो गया।
यह गाड़ी उसी कमरे में जाकर रुकी है।
हुचांग ने जैसे ही गाड़ी से उतरना चाहा, बांड ने उसकी कलाई पकड़ी और बैठने का इशारा कता हुआ बोला-''पहले यहीं बैठे-बैठे इस गाडी को और चारों तरफ की कैफियत को अच्छी तरह से देख लें।'' ऐसा ही किया गया - पहले तो वे अपनी-अपनी जगह पर बैठे हुए गाड़ी को अच्छी तरह से ठोक-बजाकर देखते रहे। मगर नतीजे पर न पहुंचे, अब वे इस नतीजे पर पहुंच गये किसी तरह का कोई नतीजा नहीं निकलने वाला है तो वे इस जगह की कैफियत देखने लगे जहां वे इस वक्त मौजूद थे। कमरे की कैफियत देखते-देखते बांड की नजर उस गैलरी पर पड़ी और एकदम चौंककर हुचांग से बोला-''यही वह काले और सफेद चौकोरों की विचित्र गैलरी है। इसका मतलब यह हे कि गैलरी यहां से शुरू होती है। जब मुझे तालाब के किनारे से हंस ने निगला था, उसके बाद से पहले मैंने खुद को जिस कमरे में पाया था, वह वही विजय की पेंटिंग वाला कमरा था। उसका एक रास्ता इस गैलरी में खुला था, दूसरा उस हंस और शेर वाले कमरे में। मैंने इसी गैलरी में से निकलना चाहा था कि किनारे पर खड़े एक संगमरमर के आदमी ने खोपड़ी में डंडा मारकर बेहोश कर दिया था। इसके बाद जव होश में आया तो मेरी आंखों के सामने सिंगही और जैक्सन की लाशें..।''
''बांड!'' अचानक हुचांग ने उसकी बात काट दी-''वो.. वो.. देखो, वहां गैलरी के किनारे पर टुम्बकटू बेहोश पड़ा है।''
''अरे!'' उसे देखते ही बांड बोला-''इसका मतलब ये भी संगमरमर के आदमियों के चक्कर में पड़ गया। आओ, जल्दी से उसे देखें।'' इन अल्फाजों के साथ ही बांड और हुचांग एक साथ गाड़ी से उतर गए। उनके उतरते ही गाड़ी ने एक तेज झटका खाया, मानो किसी स्कूटर का गेयर बदला गया हो और तेजी के साथ पटरियों पर फिसलती हुई जिधर से आई थी उधर ही दौड़ ली। वे दोनों हक्के-बक्के-से गाड़ी को देखते रह गये, कुछ ही देर बाद गाड़ी उनकी नजरों से ओझल हो गई। वे दोनों उधर से ध्यान हटाकर टुम्बकटू की ओर लपके। टुम्बकटू गैलरी के किनारे पर ही बेहोश पड़ा था। गैलरी में दायीं तरफ खड़ा संगमरमर का वह आदमी जिसके हाथ में एक डंडा था, हल्का-सा झुका हुआ था ओर डंडा भी कुछ ऐसे रूप में था, मानो अभी-अभी किसी को लगा हो। बिल्कुल ऐसा दृश्य था, मानो टुम्बकटू के सिर पर डंडा मारकर वह अभी उसी पोज में स्थिर हो गया हो। हुचांग ने टुम्बकटू को निकालने के लिए गैलरी में रखने के लिए जेसे ही पैर बढ़ाया, बांड ने उसे रोक लिया।
इसके बाद उन्होंने कमरे में ही रहकर किसी तरह टुम्बकटू को गैलरी से बाहर खींचा। टुम्बकटू के गैलरी से हटकर कमरे में आते ही, मारने के पोज में झुका हुआ आदमी सीधा खड़ा हो गया। उसे देखता हुआ बांड बोला- 'ओह, तो इस गैलरी में भी वही भार की करामात है। जैसे ही किसी आदमी का भार गैलरी के फर्श पर पड़ता हे, दोनों साइडों में खड़े संगमरमर के आदमी हरकत में आकर गैलरी में मौजूद आदमी पर वार करते हैं। देखो, जैसे ही गैलरी के फर्श से टुम्बकटू हटा यह आदमी अपनी साधारण पोजीशन में आ गया।''
''ऐसा ही लगता है।'' हुचांग ने कहा-''जरूर इस फर्श के नीचे से, फर्श और इन पुतलों में किसी तरह का ताल्लुक है - लेकिन देखो, वह सामने बड़ा-सा पत्थर रखा है, तब भी उसके आसपास का संगमरमर का कोई भी पुतला झुका हुआ नहीं है, इसका मतलब चक्कर भार का नहीं कुछ और ही है। अवश्य ही टुम्बकटू ने उस पत्थर को हासिल करने के लिए गैलरी में पैर रखा होगा और इसका ये हाल हुआ।
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