Parashuram ki Pratiksha - Hindi book by - Ramdhari Singh Dinkar - परशुराम की प्रतीक्षा - रामधारी सिंह दिनकर
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परशुराम की प्रतीक्षा

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1969
आईएसबीएन :81-85341-13-3

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रामधारी सिंह दिनकर की अठारह कविताओं का संग्रह...

लोहे के मर्द

पुरुष वीर बलवान,
देश की शान,
हमारे नौजवान
घायल होकर आये हैं।

कहते हैं, ये पुष्प, दीप,
अक्षत क्यों लाये हो?
हमें कामना नहीं, सुयश-विस्तार की,
फूलों के हारों की, जय-जयकार की।

तड़प रही घायल स्वदेश की शान है।
सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।

ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,
ले जाओ ये थाल मोदकों से भरे।
तिलक चढ़ा मत और हृदय में हूंक दो,
दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।

* * *

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