लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> परशुराम की प्रतीक्षा

परशुराम की प्रतीक्षा

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1969
आईएसबीएन :81-85341-13-3

Like this Hindi book 0

रामधारी सिंह दिनकर की अठारह कविताओं का संग्रह...

खण्ड पाँच

(1)
सिखलायेगा वह, ऋत एक ही अनल है,
जिन्दगी नहीं वह, जहाँ नहीं हलचल है।
जिनमें दाहकता नहीं, न तो गर्जन है,
सुख की तरंग का जहाँ अन्ध वर्जन है,
जो सत्य राख में सने, रुक्ष रूठे हैं,
छोड़ों उनको, वे सही नहीं, झूठे हैं।

(2)
वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो,
चट्टानों की छाती से दूध निकालो ।
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो,
पीयूष चन्द्रमाओं को पकड़ निचोड़ो।
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे ।
योगियों नहीं, विजयी के सदृश जियो रे !

(3)
मत टिको मदिर, मधुमयी, शान्त छाया में,
भूलो मत उज्जवल ध्येय मोह-माया में।
लौलुप्य – लालसा जहाँ, वहीं पर क्षय है ;
आनन्द नहीं, जीवन का लक्ष्य विजय है ।
जृम्भक, रहस्य-धूमिल मत ऋचा रचो रे !
सर्पित प्रसून के मद से बचो, बचो रे !

(4)
जब कुपित काल धीरता त्याग जलता है,
चिनगी बन फूलों का पराग जलता है,
सौन्दर्य-बोध बन नयी आग जलता है,
ऊँचा उठ कर कामार्त्त राग जलता है।
अम्बर पर अपनी विभा प्रबुद्ध करो रे !
गरजे कृशानु, तब कंचन शुद्ध करो रे !

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai