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आचार्य श्रीराम शर्मा >> मरणोत्तर श्राद्ध-कर्म-विधान

मरणोत्तर श्राद्ध-कर्म-विधान

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :4
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15530
आईएसबीएन :0

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इसमें मरणोत्तर श्राद्ध-कर्म विधानों का वर्णन किया गया है..... 

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ऋषि तर्पण 

दूसरा तर्पण षियों के लिए है। व्यास, वशिष्ठ, याज्ञवल्क्य, कात्यायन, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, नारद,चरक, सुश्रुत, पाणिनि, दधीचि आदि ऋषियों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति ऋषि तर्पण द्वारा की जाती है। ऋषियों को भी देवताओं की तरह देवतीर्थ से एक-एक अंजलि जल दिया जाता है।

ॐ मरीच्यादि दशऋषयः आगच्छन्तु गृणन्तु एतान्जलाञ्जलीन्।

ॐ मरीचिस्तृप्यताम्।

ॐ अत्रिस्तृप्यताम्।

ॐ अंगिराः तृप्यताम्।

ॐ पुलस्त्यस्तृप्यताम्।

ॐ पुलहस्तृप्यताम्।

ॐ क्रतुस्तृप्यताम्।

ॐ वसिष्ठस्तृप्यताम्।

ॐ प्रचेताः तृप्यताम्।

ॐ भृगुस्तृप्यताम्।

ॐ नारदस्तृप्यताम्।

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    अनुक्रम

  1. ॥ मरणोत्तर-श्राद्ध संस्कार ॥
  2. क्रम व्यवस्था
  3. पितृ - आवाहन-पूजन
  4. देव तर्पण
  5. ऋषि तर्पण
  6. दिव्य-मनुष्य तर्पण
  7. दिव्य-पितृ-तर्पण
  8. यम तर्पण
  9. मनुष्य-पितृ तर्पण
  10. पंच यज्ञ

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