आचार्य श्रीराम शर्मा >> जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँ जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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जन्मदिवस को कैसे मनायें, आचार्यजी के अनुसार
प्रवचनों का अत्यधिक महत्व
मन्त्रोच्चरण करने वाले सुशिक्षित व्यक्ति यदि इन प्रवचनों के तथ्यों को भी नोट करते रहें और उन्हें प्रभावशाली ढंग से समझाने की तैयारी कर लें तो वे आगे चलकर इन उत्सवों का संचालन-कार्य कर सकते हैं। ऐसे प्रशिक्षित व्यक्ति यदि दश-पाँच लाख भी तैयार हो जायें तो भी कम हैं। जन-जागरण के नव-निर्माण के विभिन्न पहलुओं को धर्म-तंत्र की वेदी पर बैठकर ठीक तरह समझा सकें ऐसे प्रवक्ता ही तो युग-निर्माताओं की भूमिका प्रस्तुत कर सकते हैं। इतना उत्पादन, अभिवर्द्धन एवं प्रशिक्षण इन उत्सवों के समय ही होगा। इसलिए प्रत्यक्ष में यह होना चाहिए कि जिसके यहाँ भी जन्मोत्सव मनाया जाय वहाँ ऐसे सुशिक्षित लोग बड़ी संख्या में पहुँचें जो आगे चलकर एक कुशल पथ-प्रदर्शक की भूमिका प्रस्तुत कर सकें। निमंत्रण देने को जाते समय उस क्षेत्र में जो भी ऐसे लोग दिखाई पड़े उन्हें अनुरोधपूर्वक बुलाना चाहिए, चाहे उनसे व्यक्तिगत परिचय अथवा सम्पर्क कम ही क्यों न हो।
प्रवचन करने वालों को यों ही कोरी जवान की लपालपी नहीं करनी चाहिए, वरन् जीवन-विधि के किसी एक विषय पर पूरी तैयारी के साथ उसी तरह आना चाहिए जैसे कालेज का प्रोफेसर अपने नियत घण्टे में नियत विषय की तथ्यपूर्ण जानकारी छात्रों के सन्तुख उपस्थित करता है। ऐसे व्यवस्थित प्रवचन ही महान उद्देश्य की पूर्ति में सहायक हो सकते हैं अन्यथा बेसिर-पैर की अंधी-सीधी बेतुकी बातों को लेकर प्रवचन करने का आज के धार्मिक लोगों का जो तरीका है उसे एक भौंडा मनोरंजन मात्र ही कह सकते हैं। आज धर्म-मन्य से हमें ऐसी ही मसखरी सुनने को मिलती हैं, उसे जनता के समय और धन का अपव्यय ही कहना चाहिए। प्रवचन निर्धारित लक्ष्य को लेकर सुनने वालों को प्रेरणा देने वाले तथ्यपूर्ण एवं सारगर्भित होने चाहिए। वक्ता की प्रतिभा एवं महत्ता इसी कसौटी पर कसी जानी चाहिए।
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