आचार्य श्रीराम शर्मा >> जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँ जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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जन्मदिवस को कैसे मनायें, आचार्यजी के अनुसार
प्रबुद्ध लोगों से आरम्भ करें
युग निर्माण योजना के लिए विचारशील, सेवाभावी एवं धार्मिक प्रकृति के लोगों का संगठन आवश्यक है। संगठन के बिना महत्वपूर्ण कार्य नहीं हो सकते। एकाकी व्यक्ति चाहे कितना ही महत्वपूर्ण, प्रतिभाशाली एवं समर्थ क्यों न हो, अपने निज के बलबूते पर सीमित कार्य ही कर सकता है। संगठन के बल पर छोटे-छोटे स्वल्प सामर्थ एव स्वल्प योग्यता के व्यक्ति भी एकत्रित होकर बहुत कुछ कर सकते हैं। विशेषतया समाज के निर्माण, युग परिवर्तन एवं विचार क्रान्ति जैसे कार्य तो प्रबुद्ध व्यक्तियों के संगठन के बिना हो ही नहीं सकते। इसलिए युग निर्माण शाखाओं को अपने महान अभियान को व्यापक एवं सफल बनाने के लिए इस सबसे आवश्यक कार्य को प्रमुखता देनी पड़ेगी कि व्यक्ति एवं समाज के निर्माण में जो लोग रुचि लेते है, उन्हे परस्पर स्नेह सुश में बाँधा जाय ओर वार-बार मिलने का अवसर दिया जाय। इस प्रकार का मिलन स्वत: ही कुछ इस रूप में विकसित होता है कि अभीष्ट प्रगति की सम्भावना बड़े।
यह मान्य सिद्धान्त है कि निर्जीव चीजें एक और एक मिलकर दो होती हैं, पर दो सजीव मनुष्य एक ओर एक मिलकर ग्यारह हो जाते हैं। बुरे कार्य इसलिए पनपते हैं कि उनके कर्त्ता प्राय: संगठित होकर कार्य करते रहते हैं। चोर, डाकू ठग, जुआरी, शराबी, दुर्व्यसनी उरपने- अपने गिरोह बनाते हैं, फलस्वरुप उनके सम्मिलित षडयंत्र में अनेक नये लोग भी फँसते हैं और वे अपने सम्मिलित प्रयत्नों में बहुत कुछ सफलतायें भी प्राप्त कर लेते हैं। प्रबुद्ध लोगों में यह एक बड़ा दोष है कि वे व्यक्तिगत प्रगति की बात तो बहुत सोचते हैं, योजनायें तो बहुत बड़ी-बड़ी बनाते हैं, पर मिल-जुलकर कार्य करने का अवसर उत्पन्न नहीं करते। फलस्वरूप बुरे लोगों की अपेक्षा उनका लक्ष्य और व्यक्तित्व बहुत ही उज्ज्वल एवं प्रखर होते हुए भी काम कुछ भी नहीं हो पाता। हमें इस कमी की पूर्ति करनी चाहिए।
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