आचार्य श्रीराम शर्मा >> जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँ जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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जन्मदिवस को कैसे मनायें, आचार्यजी के अनुसार
लोकप्रिय परम्परा
मनुष्य को अपना काम सबसे प्रिय है, वह उसे स्थान-स्थान पर लिखा, छपा, खुदा और पुकारा जाना पसन्द करता है अखबारों में पुस्तकों में, पत्रों में शिलालेखों में अपना नाम लिखा-छपा हो तो उसे देखकर अपने को बड़ी प्रसन्नता होती है। इसके लिए लोग पैसा भी खर्च करते है। अपनी शकल संसार में सबसे अधिक सुन्दर लगती है। इसी से तो लोग बार-बार अपना मुख शीशे में देखते हैं और फोटो खिंचाते हैं। पर्व और उत्सवों में मनुष्य को सबसे अधिक आनन्ददायक और उत्साहवर्धक अपना जन्म-दिवसीत्सव ही हो सकता है। उस दिन को यदि भावनात्मक बना दिया जाय तो मनोदशा ऐसी लचीली हो सकती है कि उस पर कोई उपयोगी छाप सरलतापूर्वक डाली जा सके। इस मनोवैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखते हुए यदि जन-मानस में उत्कृष्टता एवं आदर्शवादिता की छाप छोड़ने का व्यवस्थित रीति से प्रयत्न किया जाय तो वह निरर्थक नहीं जायगा, निश्चय ही वह श्रम सार्थक होगा।
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