आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी जागो शक्तिस्वरूपा नारीश्रीराम शर्मा आचार्य
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नारी जागरण हेतु अभियान
आस्तिकता, आध्यात्मिकता और धार्मिकता
धर्म और अध्यात्म क्षेत्र पर पुरुष का अधिकार बहुत समय से चला आ रहा है। फलतः वहाँ पाखण्ड और भ्रम जंजाल के अतिरिक्त और कुछ बच ही नहीं रहा है। मलिनता धोने वाले साबुन की बट्टी यदि कोयले के चूरे से बनने लगी, तो स्वच्छता का लक्ष्य कभी भी पूरा न हो सकेगा।
इस क्षेत्र में नारी को ही नेतृत्व करना चाहिए। ईश्वर ने उसकी आरम्भिक संरचना दिव्यता की अजस्र मात्रा का समावेश करते हुए ही की है। आज की गई बीती स्थिति में भी वह आदर्शवादिता एवं उत्कृष्टता का निर्वाह पुरुष की तुलना में असंख्य गुनी श्रेष्ठता के साथ निभा रही है। यह उसकी सहज प्रकृति और ईश्वर प्रदीप्त विशिष्ट विभूति है।
पुरुष बहुत श्रम करके जो आध्यात्मिक स्थिति प्राप्त कर सकता है, वह नारी को अनायास ही उपलब्ध रहता है। आस्तिकता, आध्यात्मिकता और धार्मिकता के जो लक्षण तत्त्वदर्शियों ने बताये हैं, उनमें से अधिकांश को नारी के सहज स्वभाव में समाया हुआ देखा जा सकता है। हम ऐसे उज्ज्वल भविष्य के सपने देखते हैं, जिसमें अगले दिनों नारी संसार के भावना क्षेत्र का नेतृत्व कर रही होगी और भौतिक क्षेत्र में सुव्यवस्था की सुदृढ़ नींव रख रही होंगी।
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