आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री प्रार्थना गायत्री प्रार्थनाश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री प्रार्थना
विधाता तू हमारा है
सोने के पहले की प्रार्थना
विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान दाता है।
बिना तेरी दया कोई, नहीं आनन्द पाता है॥
तितीक्षा की कसौटी से, जिसे तू जाँच लेता है।
उसी विद्याधिकारी को, अविद्या से छुड़ाता है॥
विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान दाता है।
सताता जो न औरों को, न धोखा आप खाता है॥
वही सद्भक्त है तेरा, सदाचारी कहता है।
विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान दाता है॥
सदा जो न्याय का प्याला, प्रजा को दान देता है।
महाराजा ! उसी को तू, बड़ा राजा बनाता है॥
विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान दाता है।
तजे जो धर्म को, धारा कुकर्मों की बहाता है॥
न ऐसे नीच पापी को, कभी ऊँचा चढ़ाता है।
विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान दाता है॥
स्वयंभू शंकरानन्दी, तुझे जो जान लेता है।
वही कैवल्य सत्ता की, महत्ता में समाता है॥
विधाता तू हमारा है, तू ही विज्ञान दाता है।।
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