आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
ऋजुमार्गस्था
कल्याण के मार्ग में अवस्थित गायत्री ही है। ऋजु, आत्मकल्याण को कहते हैं, वह बिना किसी सुनिश्चित साधना मार्ग पर चले उपलब्ध नहीं हो सकता। उच्च विचार और उज्ज्वल चरित्र रखते हुए ऋजु-मार्ग के पथिक को साधना संलग्न भी होना पड़ता है। यों अनेक साधनाएँ प्रचलित हैं, संतों ने अपनी-अपनी सूझ-बूझ के अनुसार अनेक साधन मार्ग तथा संप्रदाय चला रखे हैं। वे विभिन्न दिशाओं की ओर खींचते हैं और परस्पर भारी मतभेद से भी भरे हुए हैं। इन औधे-सीधे मार्गों में से किन्हीं पर भटकते रहने से अनेक व्यक्ति अपना बहुमूल्य समय भी बरबाद करते हैं। साधना का सर्वश्रेष्ठ वेदोक्त वही मार्ग है जिसको अब तक प्रत्येक ऋषि और तत्त्वदर्शियों ने अपनाया है। अनादिकाल से लेकर आज तक के शास्त्रवेत्ता एवं विज्ञ व्यक्तियों के द्वारा गायत्री उपासना का अवलंबन स्वीकार किया जाता है, उसे ही निभ्रांत माना गया है। ऋजु मार्ग की सीधी सड़क को गायत्री ही कहते हैं।
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