आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
इष्टदा
इष्टदा अर्थात वस्तुओं को प्रदान करने वाली। कामनाओं और उनकी पूर्ति के बीच में जितना अंतर है उतना ही दु:ख इस मनुष्य जीवन में समझना चाहिए। जिसकी कामनाएँ तृप्त हैं उसे ही सुखी माना जा सकता है। आकांक्षा और परिस्थिति का ताल-मेल मिलता रहे, दोनों साथ-साथ रहें तो सदा प्रसन्नता एवं आनंद की दशा बनी रहेगी। इस स्थिति को जीवन में बनाए रखने में गायत्री बहुत ही सहायक होती है। जो कामनाएँ अपने प्रारब्ध, पराक्रम, योग्यता एवं परिस्थिति के अनुकूल हैं उनकी पूर्ति के लिए साधन जुट जाते हैं और आकांक्षाएँ अपनी सीमा और औकात से बाहर की हैं या शीघ्र ही पूर्ण होने वाली नहीं हैं तो उनके संबंध में असंतोष उत्पन्न हो जाता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्नति के लिए प्रयत्न और पुरुषार्थ करने की प्रवृत्ति नष्ट हो जाती है, वरन् अपनी शक्ति, कल्पना के महल खड़े करने और उनकी पूर्ति न होने पर दु:खी होने में नष्ट करने की अपेक्षा वर्तमान से पूर्ण संतुष्ट और उत्तम भविष्य के लिए प्रयत्नशील रहने में हमारा मन लगता है। ऐसी मनोभूमि के लोग उन्नति भी करते हैं और सुखी तथा संतुष्ट रहते हैं। उनकी इष्ट कामना पूर्ण ही रहती है।
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