आचार्य श्रीराम शर्मा >> बाल नीति शतक बाल नीति शतकश्रीराम शर्मा आचार्य
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बच्चों में ऊर्जा और उत्साह भर देने वाली कविताएँ और संदेश
हारिए न हिम्मत
विज्ञान के क्षेत्र में आइन्स्टाइन का नाम सभी का जाना माना है। आज वे सारे विश्व में अणु विज्ञान के परिचायक, महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक के रूप में प्रसिद्ध हैं परंतु आइन्स्टाइन प्रारंभ से ही ऐसे प्रतिभाशाली नहीं थे। बालक आइन्स्टाइन जब विद्यार्थी थे तो कक्षा के सहपाठी उन्हें बुद्ध कहकर चिढ़ाया करते थे। कई बार साथी उनकी पीठ पर चिट चिपका देते थे जिस पर लिखा होता था- बुद्धू। साथी हंसते परंतु आइन्टाइन कोई उत्तर न दे पाते। ऐसा लगता था जैसे वह स्वयं को वैसा ही समझते हों।
गणित की कक्षा में तो उनकी शामत ही आा जाती। अध्यापक किसी प्रश्न को कई-कई बार समझाने के पश्चात् जब उनसे पूछते तो वह बगलें झांकते-ताकते रहते। एक बार अध्यापक वे उन के इस भोंदूपन से चिढ़कर कहा कि 'तुम सात जन्मों में भी गणित नहीं सीख सकते, कुछ और सीखो।' यह बात आइन्स्टाइन को चुभ गई और उन्होंने कठोर परिश्रम आरंभ कर दिया।
आत्मविश्वास के साथ कठोर श्रम करते रहने के कारण आइन्स्टाइन इस युग के महान वैज्ञानिक और गणितज्ञ बने। अपनी इस महानता के रहस्य को उन्होंने एक विद्यार्थी को बतलाया कि मैंने अपने जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारी। निराश न होकर निरंतर श्रमपूर्वक प्रयत्न करता रहा। इसी खेसे सबसे कठिन विषय गणित मेरे लिए सरल बन गया।
आत्म विश्वासपूर्वक निरंतर सही दिशा में प्रयत्न करते हुए कोई भी बुद्धू बुद्धिमान बन जाता है।
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